1962 का युद्ध नेहरू की वजह से हारे थे हम: टिपणिस
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1962 का युद्ध नेहरू की वजह से हारे थे हम: टिपणिस

पूर्व वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) ए वाई टिपणिस ने 1962 में चीन के साथ युद्ध में भारत की हार के लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को उस वक्त जिम्मेदार ठहराने का प्रयास किया है जब जंग के दौरान वायु सेना का इस्तेमाल नहीं किये जाने पर बहस जारी है।

नई दिल्ली: पूर्व वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) ए वाई टिपणिस ने 1962 में चीन के साथ युद्ध में भारत की हार के लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को उस वक्त जिम्मेदार ठहराने का प्रयास किया है जब जंग के दौरान वायु सेना का इस्तेमाल नहीं किये जाने पर बहस जारी है।
यहां ‘भारत और चीन, 1962 के युद्ध के पांच दशक बाद’ शीषर्क से आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए टिपणिस ने यह आरोप भी लगाया कि नेहरू ने वैश्विक नेता बनने की महत्वाकांक्षा के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को पीछे छोड़ दिया था।
उन्होंने कहा कि यह बात थोड़ी बहुत सार्वभौमिक तौर पर मान्य है। हो सकता है कि कुछ भारतीयों को हिचकिचाहट में राजनीतिक मकसद से खुलकर यह बात स्वीकार्य नहीं हो कि पंडित नेहरू ने संघर्ष मुक्त निगरुट दुनिया के बड़े दृष्टिकोण के साथ वैश्विक नेता बनने की महत्वाकांक्षा के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के हित को छोड़ दिया।
कल दिये उनके ये बयान वायु सेना के मौजूदा प्रमुख एयर चीफ मार्शल एन ए के ब्राउन द्वारा हाल ही में दी गयी इस टिप्पणी की पृष्ठभूमि में आए हैं कि चीन के साथ 1962 के युद्ध का नतीजा अलग होता अगर वायु सेना को आक्रामक भूमिका अदा करने दी गयी होती।
अपने बयान को विस्तार से बताते हुए टिपणिस ने कहा कि नेहरू की भारत की हार में बड़ी भूमिका थी। वायुसेना प्रमुख के तौर पर 31 दिसंबर, 1998 से तीन साल का कार्यकाल पूरा करने वाले 72 साल के टिपणिस को भारत और चीन के बीच लड़ाई से दो साल पहले 1960 में लड़ाकू पायलट के तौर पर वायु सेना में शामिल किया गया था।
टिपनीस ने कहा कि उन्होंने उन दिनों एक सेना प्रमुख को उसके कथित मिजाज के लिए प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा स्कूली बच्चे की तरह सताते हुए देखा था।
1962 के युद्ध में वायु सेना का इस्तेमाल नहीं किये जाने के मुद्दे पर सैन्य इतिहासकारों और विशेषज्ञों के बीच अब भी बहस चल रही है और इस बात को लेकर कोई स्पष्ट धारणा नहीं है कि वायु सेना का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया।
ब्राउन ने कहा था कि वायु सेना को आक्रामक भूमिका क्यों नहीं निभाने दी गयी और केवल सेना के परिवहन सहयोग तक क्यों सीमित रखा गया।
पिछले 50 साल में पहली बार भारत ने 20 अक्तूबर को चीन के साथ 1962 के युद्ध की बरसी मनाई जहां रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने तीनों सेना प्रमुखों के साथ अमर जवान ज्योति पर फूलमालाए़ं चढ़ाकर युद्ध में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी। (एजेंसी)

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