कोलकाता : ममता बनर्जी के राजनीतिक जीवन, बंगाल की गद्दी तक पहुंचने की उनकी कहानी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस द्वारा आयोजित किए गए आंदोलनों की श्रृंखला अब बंगाल के लोकनाट्य ‘जात्रा’ के रूप में प्रस्तुत किए जा रहे हैं। ये लोकनाट्य ग्रामीण बंगाल में बहुत पसंद किए जा रहे हैं। कई जात्रा कंपनियों के प्रमुखों ने कहा कि ममता के राजनीतिक जीवन से ज्यादा उनकी सादगीपूर्ण छवि और बदलाव के वायदे ने ग्रामीण जनता को प्रभावित किया है।
इन नाटकों के नाम ममता की राजनीतिक यात्रा पर रखे गए हैं जैसे ‘बांगलार मॉस्नादो मॉमता’ (बंगाल की गद्दी पर ममता), ‘बांगलार कशामताय एबार मॉमता’ (ममता अब सत्ता में), ‘स्वपनार नेत्री मॉमता’ (सपनों की नायिका ममता)। ये कुछ ऐसे नाम हैं जो ग्रामीण जनता में बहुत लोकप्रिय हो गए हैं।
‘बांगलार मॉस्नादो मॉमता’ की पटकथा लिखने वाले अभय डे ने कहा, यह एक सादगीपूर्ण महिला की कहानी है जो एक योद्धा और जननेता में बदल लोगों का दिल जीतती है। डे ने बताया कि यह नाटक हर जगह लोगों द्वारा पसंद किया गया।
इस नाटक में ममता बनर्जी का किरदार निभाने वाली कलाकार सीता घोष ने कहा कि कि नाटक के समाप्त होने के बाद ग्रामीण लोग उन्हें गलती से ममता समझने लगे। सीता ने हंसते हुए कहा कि कुछ लोग नाटक के समाप्त होने के बाद उनसे अपने दैनिक जीवन की समस्याएं सुलझाने के लिए कहने लगे। (एजेंसी)