नई दिल्ली : सीबीआई ने सार्वजनिक क्षेत्र के देना बैंक में 250 करोड़ रुपये के घोटाले का पता लगाया है। यह घोटाला शाखा प्रबंधक और एक निजी व्यक्ति की मिलीभगत से कथित तौर पर सात निजी कंपनियों की ओर से फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल करते हुए कर्ज लेने का है।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि मुंबई में शोमैन ग्रुप के विमल बरोट ने देना बैंक के शाखा प्रबंधक प्रीतम विद्याधर नागरकर के साथ मिलीभगत कर सात निगमित समूहों के अज्ञात व्यक्तियों के जरिये बैंक के साथ 220 करोड़ रपये की धोखाधड़ी की।
सूत्रों ने कहा कि बरोट ने लक्षित कंपनी समूह के समक्ष अपने को कथित तौर पर बैंक के प्रतिनिधि के रूप में पेश किया जबकि बैंक के सामने उसने खुद को समूह के वित्तीय परामर्शक की भूमिका में प्रस्तुत किया। इस तरह की चालबाजी का इस्तेमाल करते हुए बरोट ने नागरकर के सहयोग से, जो कि बैंक की मालाबार हिल्स शाखा में तैनात हैं, देना बैंक को इन निगमित समूहों से 256.49 करोड़ रुपये का सावधिक जमा पाने में मदद की।
सीबीआई प्रवक्ता ने बताया कि आरोपी व्यक्ति ने कथित तौर पर कंपनियों के सावधि जमा के एवज में बैंक से 220 करोड़ रुपये का कर्ज ले लिया और उस धन का इस्तेमाल अपने कार्यों के लिये किया। सीबीआई ने मामले की जांच पड़ताल करते हुये आरोपी के मुंबई स्थित घर और दफ्तर में तीन स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया।