रेल बजट से आम आदमी की उम्मीदें

मोदी सरकार के पहले बजट पेश करने से ठीक कुछ दिन पहले रेल यात्री किराये में 14.2 प्रतिशत और माल भाड़े में 6.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी गई। आम आदमी को यह नागवार गुजरा। क्योंकि नरेंद्र मोदी ने एनडीए की सरकार बनने पर अच्छे दिन लाने का वादा किया था लेकिन रेल यात्रियों के लिए सुविधा बढ़ाए बिना किराये में इजाफा कर दिया। ऐसे में जनता मोदी सरकार पर संदेह करने लगी है। फिर भी एक महीने की इस सरकार के रेल बजट से काफी उम्मीदें हैं। रेल बजट 8 जुलाई को पेश किया जाएगा। बजट से जनता की कुछ स्‍वाभाविक और मूलभूत उम्‍मीदें हैं।

रेल बजट से आम आदमी की उम्मीदें

रामानुज सिंह

मोदी सरकार के पहले बजट पेश करने से ठीक कुछ दिन पहले रेल यात्री किराये में 14.2 प्रतिशत और माल भाड़े में 6.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी गई। आम आदमी को यह नागवार गुजरा। क्योंकि नरेंद्र मोदी ने एनडीए की सरकार बनने पर अच्छे दिन लाने का वादा किया था लेकिन रेल यात्रियों के लिए सुविधा बढ़ाए बिना किराये में इजाफा कर दिया। ऐसे में जनता मोदी सरकार पर संदेह करने लगी है। फिर भी एक महीने की इस सरकार के रेल बजट से काफी उम्मीदें हैं। रेल बजट 8 जुलाई को पेश किया जाएगा। बजट से जनता की कुछ स्‍वाभाविक और मूलभूत उम्‍मीदें हैं।

रेल किराये बढ़ने के बाद लोगों में यात्री सुविधाओं में बेहतरी की उम्मीदें बढ़ गई हैं। लंबे समय से जर-जर ट्रेनों की बदहाली को वर्ल्ड क्लास बनने की उम्मीद है। जैसा कि रेल किराया बढ़ाने के बाद मोदी सरकार के मंत्रियों ने कहा। अब सवाल है कि क्या वे सारी सुविधाएं रेल यात्रियों को मिल जाएंगी जो यात्रा शुरू करने से लेकर यात्रा के अंत तक जरूरत है।

यात्रा सुविधा :- रेल यात्रा सुलभ और आकर्षक बनाने की जरूरत है ताकि यात्रियों की संख्या में और बढ़ोतरी हो सके। सड़क मार्ग से सफर करने वाले लोग यात्रा के लिए रेलमार्ग का ही चयन करें। विश्वस्तरीय सुविधाएं देनी होंगी। ट्रेन के टाइम टेबल पर ध्यान देना होगा। रेलगाड़ियां नियत समय पर चलानी होंगी। साफ-सफाई, खाने-पाने की समुचित व्यवस्था करनी होगी। उसकी गुणवत्ता में बढ़ोतरी करनी होगी। उम्मीद है सरकार मजबूत इच्छा शक्ति के साथ इन कमियों को दूर करेगी।

टिकट, ट्रेन और प्लेटफॉर्म :- वैसे तो टिकट की कालाबाजारी रोकने के लिए रेलवे ने कई बेहतर फैसले लिए हैं। फिर भी इसमें और सुधार की जरूरत है। व्यस्त स्टेशनों पर सामान्य श्रेणी के टिकट काउंटर पर टिकट लेने के लिए लंबी लाइनें होती हैं। जिससे कई बार टिकट के चक्कर में यात्रियों की ट्रेनें छूट जाती हैं। इसलिए सामान्य श्रेणी के काउंटर की संख्या बढ़नी चाहिए। साथ ही प्लेटफॉर्म टिकट भी आसानी से और जल्द उपलब्ध करने की व्यवस्था होनी चाहिए। ऑफ सीजन को छोड़कर लंबी दूरी के ट्रेनों में काफी भीड़ होती है। जिससे यात्रा बेहद असुविधाजनक होती है। इसके निदान के लिए ट्रेनों की संख्या बढ़नी चाहिए। वेटिंग टिकट की संख्या काफी कम होनी चाहिए। जिससे स्टेशनों पर अफरा-तफरी और हादसे से बचा जा सकता है या वेटिंग टिकट के हिसाब से दूसरी ट्रेन चलाकर वेटिंग के यात्रियों को उस ट्रेन में शिफ्ट कर देना चाहिए। जिससे यात्रा परेशानी भरा नहीं होगी।

ट्रेन में सुरक्षा :- ट्रेन यात्रा के दौरान यात्री अपने आपको काफी असुरक्षित महसूस करता है। ट्रेन में लूटखसोट, छीनाझपटी जैसी वारदातें अक्सर देखने-सुनने को मिलती हैं। खासकर महिलाओं की सुरक्षा को बेहतर करना और भी जरूरी है क्योंकि महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और यौन शोषण की घटना भी होती रहती है। बीते पांच साल में ट्रेनों में होने वाले अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई है। ट्रेनों में आए दिन बलात्कार की घटनाएं सामने आती हैं। ऐसे में आम आदमी यही चाहेगा कि रेल सुरक्षा पर विशेष जोर दिया जाए। इसलिए सुरक्षा व्यवस्था और पुख्ता करने की जरूरत है। इसके अलावा ट्रेन में किन्नरों का भी आतंक व्याप्त है। किन्नरों बेवजह यात्रियों को परेशान करते हैं।

ट्रेन हादसा रोकना :- प्रति वर्ष ट्रेन हादसों में सैंकड़ों लोगों की मौत हो जाती है। इस साल जनवरी में बांद्रा-देहरादून एक्‍सप्रेस के स्‍लीपर कोच में लगी आग के कारण 4 लोग जलकर, जबकि 5 की दम घुटने से मौत हो गई। नासिक जिले में इगतपुरी के करीब एक ट्रेन के दस कोच पटरी से उतर गए जिसमें 3 यात्रियों की मौत हो गई, जबकि 37 घायल हो गए। 4 मई को महाराष्‍ट्र के रायगढ़ जिले में एक पैसेंजर ट्रेन के इंजन और 6 बोगियां पटरी से उतरने की वजह से कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई। 25 जून को बिहार के सारण जिले में दिल्ली-डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस के पटरी से उतरने से चार लोगों की मौत हो गई। मानव रहित रेल क्रॉसिंग पर भी हादसे होते रहते हैं जिसमें प्रति वर्ष सैकड़ों लोगों को जान गंवानी पड़ती है। देश भर में करीब 12 हजार रेलवे क्रॉसिंग बिना गार्ड के हैं। जहां हादसे होते रहते हैं।  

बढ़ाई जाएं रेल पटरियां :- देश की बढ़ती आबादी को देखते हुए जिस हिसाब से हर साल ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जाती है। उस हिसाब से रेल पटरियों की संख्या नहीं बढ़ाई जाती। रेल मार्गों पर ट्रेनों की भीड़ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जिससे यात्रा में काफी वक्त लगता है।

इन समस्यों के छोड़ कुछ समस्याएं ऐसी भी हैं जिनका हल तत्काल प्रभाव से होना चाहिए। जैसे आरक्षण की सुलभता, वेटिंग टिकट का कन्फर्म होना, ट्रेनें का समय पर चलना और पहुंचना, स्टशनों पर पीने का साफ पानी मिलना, ट्रेनों में साफ-सफाई का बेहतर इंतजाम और खान-पान की बेहतर सुविधा उपलब्ध होना। अगर मोदी सरकार रेल यात्रियों को इन समस्याओं से निजात दिलाती है तो लोग वाक्ई में अच्छे दिन का एहसास करेंगे।
 

 

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