जेल की डर्टी पिक्चर

मूमन जुर्म के मद्देनजर कैदियों के लिए सख्त से सख्त जेल को चुना जाता है, लेकिन अगर जेल ही कैदियों के लिए आरामगाह और अपराधों का जरिया बन जाय तो खौफ़ज़दा समाज कानून से कैसे और किस न्याय की उम्मीद करेगा। बेतहरीन उदाहरण है, देश का सबसे सुरक्षित औऱ कठोर जेल, तिहाड़ जेल।

अमूमन जुर्म के मद्देनजर कैदियों के लिए सख्त से सख्त जेल को चुना जाता है, लेकिन अगर जेल ही कैदियों के लिए आरामगाह और अपराधों का जरिया बन जाय तो खौफ़ज़दा समाज कानून से कैसे और किस न्याय की उम्मीद करेगा। बेतहरीन उदाहरण है, देश का सबसे सुरक्षित औऱ कठोर जेल, तिहाड़ जेल।
कठोर नियमों और सख्त सजा का दावा करते इस जेल में भले ही फोन की घंटियां न बज रही हों लेकिन लोगों के पास इसी जेल में कैदियों के धमकी भरे फोन आ रहे हैं। जेल में मोबाइल फोन मिलने की ख़बर से जेल के उस सिस्टम पर सवाल उठते हैं जिसके अंतर्गत तिहाड़ में मोबाइल सिग्नल्स को जैंम किया जाता है। सवाल ये भी है कि अगर जेल में मोबाइल मौजूद है तो उनकी चार्ज़िंग का सिस्टम कहां है, तो क्या ये मान लिया जाए कि अपराधियों के पास अपनी सेल में मोबाइल को चार्ज़ करने का भी सिस्टम मौजूद हैं? साफ है कि तिहाड़ जेल में सजा काट रहे कैदियों को भले ही उनके जुर्म का एहसास न कराया जा रहा हो, लेकिन अपराधियों के नशे और उनके ऐशोआराम में कोई कमी नहीं है।
जेलों में कैदियों के नशा करने के वाकये भी कम नहीं हैं, चाहे वो यूपी के उन्नाव जेल का मामला हो या येरवड़ा जेल का, येरवडा जेल में इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकी क़ातिल सिदिकी की मौत से पहले भी उसे शराब पिलाने का मामला अदालत में है। अगर ऐसा है तो बड़ा सवाल है कि आखिर इतनी तगड़ी सुरक्षा के बावजूद जेल के भीतर नशे का इंतज़ाम कैसे होता है। आखिर ड्रग्स की खेप जेल की चारदीवारी के अंदर पहुंचती कैसे है।
हाल ही में यूपी की जेलों में कई ऐसे वाक्ये हो चुके हैं। जहां क़ैदियों ने चाकूओं के ज़रिए हमला कर जेल की चारदीवारी लांघ दी हो। सवाल सिर्फ़ एक जेल की सुरक्षा तक सीमित नहीं है। सवाल देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ा है। कुछ भी हो लेकिन ऐसे वाकये जेलों के साथ देश की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हैं कि क्या वाकई जेलों में क़ैदियों की चिट्ठियां, मोबाइल, ड्रग्स का कारोबार हो रहा है।
देश की सबसे हाई प्रोफाइल मानी जाने वाली तिहाड़ जेल में बड़े राजनेता भी है और आतंक के घिनौने चेहरे भी। लेकिन इस जेल की हक़ीकत क्या है? क्या है सच इस जेल का? क्या जेल में क़ैदियों से अपराधियों जैसा ही बर्ताव होता है या फिर ये जेल क़ैदियो की ऐशगाह बन चुकी है?

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