संसद में बाधा और मंत्रियों की अवज्ञा से मेरा दिल दुखी: मनमोहन

पांच केंद्रीय मंत्रियों ने तेलंगाना मुद्दे पर लोकसभा में बुधवार को अप्रत्याशित रूप से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अवज्ञा की, जिसके बाद सिंह को कहना पड़ा कि सदन में जो कुछ हो रहा है, उसे देखकर उनका दिल दुखी है।

नई दिल्ली : पांच केंद्रीय मंत्रियों ने तेलंगाना मुद्दे पर लोकसभा में बुधवार को अप्रत्याशित रूप से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अवज्ञा की, जिसके बाद सिंह को कहना पड़ा कि सदन में जो कुछ हो रहा है, उसे देखकर उनका दिल दुखी है।
लोकसभा में शायद वो नजारा कभी न देखा गया हो, जो आज देखने को मिला। संप्रग सरकार के चार मंत्री आसन के सामने आकर अंतरिम रेल बजट पेश किए जाने की प्रक्रिया को बाधित कर रहे थे। सीमांध्र क्षेत्र के ये मंत्री आंध्र प्रदेश का विभाजन किये जाने के खिलाफ विरोध प्रकट कर रहे थे।
सिंह से मिलने गए सांसदों के एक दल से प्रधानमंत्री ने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए अफसोसनाक है कि शांति बनाये रखने की तमाम अपीलों के बावजूद ऐसी चीजें हो रही हैं। तेलंगाना मुद्दे पर हुए शोरशराबे और नारेबाजी के कारण रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे अपना बजट भाषण पूरा नहीं कर पाए और बाध्य होकर उन्हें अपना भाषण सदन पटल पर रखना पड़ा। प्रधानमंत्री की नाराजगी सीमांध्र के एक अन्य केन्द्रीय मंत्री एम पल्लम राजू को स्वीकार्य नहीं हुई। उन्होंने तर्क दिया कि सिंह की टिप्पणी उचित नहीं है। राजू हालांकि आसन के सामने नहीं गये थे लेकिन कहा कि आंध्रप्रदेश के विभाजन के खिलाफ राज्य के लोग वहां के मंत्रियों से अंतिम लडाई लड़ने की उम्मीद करते हैं।
चार मंत्री के एस राव, डी पुरंदेश्वरी, के सूर्यप्रकाश रेडडी और चिरंजीवी आसन के सामने आकर विरोध प्रकट कर रहे थे। संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने लोकसभा में हो रही घटनाओं की निन्दा करते हुए कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि (कार्यवाही में) बाधा पहुंचायी जा रही है। भावी लोकसभाओं के लिए यह अत्यंत खराब उदाहरण होगा। उन्होंने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा कि नियम साफ तौर पर कहते हैं कि सदन हर सदस्य का होता है और इसकी मर्यादा की रक्षा करना सभी का कर्तव्य है। कमलनाथ ने कहा कि सदन किसी वर्ग विशेष का नहीं होता। सदन की मर्यादा बनाये रखना सरकार और हर सदस्य का कर्तव्य है। साथ ही यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि सदन नियमों के तहत चले। संसदीय लोकतंत्र चर्चा और विरोध के लिए होता है।
जब पूछा गया कि क्या सदन में व्यवस्था बनाना सरकार का कर्तव्य है, कमलनाथ बोले कि ये सरकार का कर्तव्य नहीं है। ये सदन के हर सदस्य का कर्तव्य है। मूलभूत बात यह है कि सदन सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं होता। सदन अध्यक्ष और सदस्यों से नियंत्रित होता है। (एजेंसी)

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