वित्तीय पारदर्शिता पर चुनाव आयोग का दिशानिर्देश प्रभावी

पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने को लेकर राजनीतिक पार्टियों के लिए अपना कोष बैंक में जमा करने और उम्मीदवारों की वित्तीय सहायता की सीमा पार नहीं करने को वस्तुत: अनिवार्य बनाने वाला चुनाव आयोग का दिशानिर्देश आज से प्रभावी हो गया है।

नई दिल्ली : पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने को लेकर राजनीतिक पार्टियों के लिए अपना कोष बैंक में जमा करने और उम्मीदवारों की वित्तीय सहायता की सीमा पार नहीं करने को वस्तुत: अनिवार्य बनाने वाला चुनाव आयोग का दिशानिर्देश आज से प्रभावी हो गया है।

इस सिलसिले में संविधान के अनुच्छेद 324 (चुनाव की निगरानी, निर्देशन और नियंत्रण) के तहत चुनाव आयोग का 29 अगस्त का आदेश पार्टी कोष एवं चुनाव खर्च में पारदर्शिता और जवाबदेही पर व्यापक दिशानिर्देशों का हिस्सा है। चुनाव आयोग ने कहा था कि दिशानिर्देश बुधवार से प्रभाव में आएगा।

दिशानिर्देशों के मुताबिक राजनीतिक पार्टी के कोषाध्यक्ष को अब सभी राज्यों और निचले स्तर पर खातों के रखरखाव की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने की जरूरत होगी। साथ ही, पार्टी के केंद्रीय मुख्यालय में समेकित खातों का रखरखाव भी सुनिश्चित करना होगा ।

कोषाध्यक्ष द्वारा रखरखाव किए जाने वाले खाते राजनीतिक पार्टियों के लेखा और लेखा परीक्षा पर इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा जारी दिशानिर्देश नोट के अनुरूप होंगे। सालाना खातों की ऑडिट और प्रमाणन प्रमाणित चार्टर्ड अकाउंटेंट करेंगे जैसा कि आयकर अधिनियम के तहत जरूरी है।

दिशानिर्देशों के तहत किसी पार्टी को यह सुनिश्चित करना होगा कि गांव या कस्बाई इलाके को छोड़कर किसी व्यक्ति या कंपनी को 20,000 रुपये से अधिक रकम का भुगतान नकद नहीं किया जाएगा। साथ ही, यह उन परिस्थितियों में भी लागू नहीं होगा जहां किसी पार्टी के कर्मचारी अथवा पदाधिकारी को वेतन, पेंशन या खर्चों की वापसी या नकद भुगतान किसी न किसी विधि के तहत किए जाने की जरूरत हो।

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