नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय 6 अगस्त को एक याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि नए ‘महाराष्ट्र सदन’ में रमजान के दौरान आईआरसीटीसी के एक कर्मचारी को कथित रूप से जबरन रोटी खिलाने के मामले में शिवसेना के 11 सांसदों को अयोग्य घोषित किया जाए।
याचिका में शिवसेना की मान्यता खत्म करने और इसके सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामला शुरू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है जिसमें संजय राउत एवं ठाणे लोकसभा सीट से सांसद राजन विचारे भी शामिल हैं।
मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध याचिका को छह अगस्त के लिए फिर से अधिसूचित किया गया है। आरोप है कि खाने की खराब गुणवत्ता से क्षुब्ध विचारे ने 17 जुलाई को कुछ टेलीविजन कैमरे के समक्ष महाराष्ट्र सदन के पर्यवेक्षक अरशद जुबैर के मुंह में जबरन रोटी ठूंस दिया गया था।
वकील एन.के. झा के माध्यम से गैर सरकारी संगठन गरीब नवाज फाउंडेशन की तरफ से दायर याचिका में ‘अल्पसंख्यक समुदाय की धार्मिक भावनाओं को भड़काने’ के लिए सांसदों की तुरंत गिरफ्तारी की भी मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है, ‘रमजान में रोजा रख रहे मुस्लिम अधिकारी के साथ शिवसेना सांसदों की कार्रवाई अवांछित है और पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे की तरफ से इसमें कड़ी कार्रवाई किए जाने की जरूरत है।’ इसमें कहा गया है, ‘सांसदों द्वारा जबरन ‘चपाती’ खिलाना कायराना हरकत है क्योंकि वे जनप्रतिनिधि हैं और उन्हें लोगों की सेवा करने के लिए निर्वाचित किया जाता है न कि धार्मिक भावनाएं भड़काने के लिए।’
इसमें केंद्र को भी निर्देश देने की मांग है कि घटना की उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेष जांच दल से उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए जाएं।