नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आईआईटी से आग्रह किया कि वह अग्रणी प्रौद्योगिकी विकसित करने के प्रयासों में प्रमुख भूमिका निभाएं और उनका उपयोग देश की कई प्रकार की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ उसे अन्य विकासशील देशों को भी निर्यात करें।
मुखर्जी ने राष्ट्रपतिभवन में आयोजित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के अध्यक्षों, बोर्ड ऑफ गर्वनर्स और निदेशकों के सम्मेलन के समापन सत्र में कल शाम दिए अपने संबोधन में यह बात कही। इस सम्मेलन में विश्व स्तर पर आईआईटी की रैंकिंग को सुधारने के लिए आवश्यक कदमों, अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहन देने, अध्यापन में प्रौद्योगिकी का उपयोग और ऑनलाइन सीखने की प्रक्रिया, आईआईटी की समुदायों के साथ साझेदारी, संसाधन और संस्थान के पूर्व छात्रों को संगठित करने पर विचार किया गया।
सम्मेलन में आईआईटी के 29 अध्यक्ष, बोर्ड ऑफ गर्वनर्स और निदेशकों ने हिस्सा लिया। राष्ट्रपति ने आईआईटी द्वारा पेश की गई प्रस्तुतियों की सराहना करते हुए कहा कि इनमें स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता झलकती है। इससे लगता है कि उद्योग और अकादमिक संस्थानों के साथ सहयोग करके आईआईटी अग्रणी अनुसंधान करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आईआईटी से कुछ बेहतर सुझाव मिले हैं, जिनमें बढ़िया व्यवहारकुशल प्रौद्योगिकी को साझा करना, अनुसंधान पत्रों के प्रकाशन की संख्या को बढ़ाने के प्रयास करना, प्रतिवर्ष 3 से 5 अनुसंधान पत्र प्रकाशित करना, बेहतर फैकल्टी के लिए डॉक्टरेट की उपाधि को बढ़ावा देना, पाठ्यक्रम में लगातार सुधार और संशोधन करना और प्रत्येक वर्ष हर आईआईटी में कंपनियों के निर्माण का प्रयास करना शामिल है।