भारत ने अपने नागरिकों से लीबिया छोड़ने को कहा

लीबिया में हिंसा बढ़ने के बीच त्रिपोली स्थित भारतीय मिशन ने सोमवार को अपने सभी नागरिकों को सभी उपलब्ध तरीकों का उपयोग कर हिंसाग्रस्त देश छोड़ देने तथा देश की यात्रा नहीं करने की सलाह दी है।

नई दिल्ली : लीबिया में हिंसा बढ़ने के बीच त्रिपोली स्थित भारतीय मिशन ने सोमवार को अपने सभी नागरिकों को सभी उपलब्ध तरीकों का उपयोग कर हिंसाग्रस्त देश छोड़ देने तथा देश की यात्रा नहीं करने की सलाह दी है।

मिशन ने परामर्श में कहा है, ‘लीबिया की मौजूदा सुरक्षा स्थिति के मद्देनजर सभी भारतीय नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर जाने तथा संघर्ष प्रभावित क्षेत्र से बचने की सलाह दी जाती है। उन्हें यह भी सलाह दी जाती है कि लीबिया छोड़ने के लिए वे हर संभव तरीकों को उपयोग करें। स्थिति सुधरने तक भारत से लीबिया की सभी यात्राओं को स्थगित कर दिया जाना चाहिए।’

हिंसा की बढ़ती घटनाओं का जिक्र करते हुए इसमें यह भी कहा गया है कि सभी भारतीयों को त्रिपोली और बेंगाजी में संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में जाने से बचना चाहिए तथा उन्हें तत्काल सुरक्षित स्थानों पर जाना चाहिए। इस बीच आंध्र प्रदेश सरकार ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को पत्र लिखकर उत्तर अफ्रीकी देश में काम कर रहे राज्य के लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए केंद्र से हस्तक्षेप करने की मांग की।

आंध्र प्रदेश के विशेष प्रतिनिधि के राम मोहन राव ने सुषमा स्वराज को भेजे पत्र में कहा, ‘मैं अनुरोध करता हूं कि भारतीय दूतावास को हस्तक्षेप करने तथा आंध्र प्रदेश के सभी प्रवासियों को भोजन, कपड़े तथा आश्रय के लिहाज से सभी आवश्यक मदद मुहैया कराने के लिए उचित निर्देश दिए जाएं। उन्हें वापस लाने के लिए भी व्यवस्था की जाए।’ लीबिया में हिंसा शुरू होने के पहले वहां काम कर रहे भारतीयों की अनुमानित संख्या 18 हजार से अधिक थी।

भारतीय पेशेवर अधितकर अस्पतालों और अन्य शिक्षण संस्थानों में काम करते हैं जबकि श्रमबल का एक बड़ा हिस्सा निर्माण परियोजनाओं से जुड़ा हुआ है। क्रांति के दौरान उनमें से अधिकतर को फरवरी मार्च 2013 में सुरक्षित भारत लाया गया था।

क्रांति के दौरान भी कुछ सौ भारतीय लीबिया में काम करते रहे थे। धीरे धीरे और भारतीय वहां लौटने लगे और अभी करीब छह हजार भारतीय वहां काम कर रहे हैं।

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