नई दिल्ली : कम दूरी की मारक क्षमता वाली वायु रक्षा मिसाइलें विकसित करने की खातिर भारत और फ्रांस का 30,000 करोड़ रूपए का प्रस्तावित संयुक्त उपक्रम ठंडे बस्ते में जाता नजर आ रहा है।
दरअसल, भारतीय वायुसेना का मानना है कि देश में ही विकसित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली ‘आकाश’ से उसकी जरूरतें पूरी हो सकती हैं। प्रस्तावित संयुक्त उपक्रम की योजना डीआरडीओ और फ्रांसीसी मिसाइल निर्माता एमबीडीए के बीच बनाई गई थी। इसके तहत डीआरडीओ और एमबीडीए मैत्री कार्यक्रम के लिए भारतीय वायुसेना की खातिर कम दूरी की मारक क्षमता से लैस सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एसआर-एसएम) विकसित करना चाह रहे थे।
डीआरडीओ ने पहले ही ‘आकाश’ वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली का विकास भारत में कर लिया है। हाल ही में ओड़िशा में ‘आकाश’ के विकासात्मक परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए गए? उच्च-पदस्थ सूत्रों ने यहां बताया कि एसआर-एसएएम भी इसी श्रेणी की परियोजना है। सूत्रों ने बताया कि वायुसेना का मानना है कि जब स्वदेशी प्रणाली बल की जरूरतें पूरा कर सकती है तो ऐसी ही एक प्रणाली आयात करने या साथ में विकसित करने की कोई जरूरत नहीं है।