सुब्रमण्यम के आरोपों पर सरकार का टिप्पणी से इनकार

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पद पर नियुक्ति की दौड़ से हटने के बाद प्रमुख वकील गोपाल सुब्रमण्यम की ओर से नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर केंद्र ने बुधवार को टिप्पणी से इनकार कर दिया।

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पद पर नियुक्ति की दौड़ से हटने के बाद प्रमुख वकील गोपाल सुब्रमण्यम की ओर से नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर केंद्र ने बुधवार को टिप्पणी से इनकार कर दिया।

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बारे में पूछे गये सवालों के जवाब में कहा कि जहां तक (सुब्रमण्यम की) सार्वजनिक टिप्पणी का सवाल है, उन्हें इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करनी है। उन्होंने कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है इसलिए इस बारे में उनका टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। ‘न तो टिप्पणी करना अपेक्षित है और न ही मैं इस बारे में कोई टिप्पणी करना चाहता हूं।’

उल्लेखनीय है कि सुब्रमण्यम ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि उनकी नियुक्ति को निष्फल बनाने के लिये सरकार ने उनके खिलाफ ‘गंदगी’ खोजने का सीबीआई को आदेश दिया। सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ कांड में उच्चतम न्यायालय की मदद करने वाले सुब्रमण्यम ने कहा कि उनकी स्वतंत्रता और ईमानदारी की वजह से ही उन्हें ‘निशाना बनाया गया।’ इस मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नजदीकी सहायोगी अमित शाह अब अभियुक्त हैं। सुब्रमण्यम ने कहा कि सोहराबुद्दीन प्रकरण में उच्चतम न्यायालय के न्याय मित्र के रूप में उनकी भूमिका ही उनकी पदोन्नति के लिये सरकार के विरोध का कारण रहा होगा, हालांकि इस बारे में कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है। पूर्व सालिसिटर जनरल सुब्रमण्यम ने प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढा को नौ पेज का पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश पद पर नियुक्ति के लिए दी गई सहमति वापस ली है। उन्होंने लिखा है कि वह नहीं चाहते कि उनकी पदोन्नति किसी राजनीति का मसला बने।

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