कालेधन की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बनाई एसआईटी

विदेशी बैंकों में जमा कालेधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को एक अहम आदेश दिया। कालेधन की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाने का फैसला किया है। साथ ही, केंद्र को यह निर्देश भी दिया कि जर्मन बैंक में जमा कालेधन का दस्‍तावेज याचिकाकर्ता को मुहैया करवाएं।

ज़ी मीडिया ब्‍यूरो
नई दिल्‍ली : विदेशी बैंकों में जमा कालेधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को एक अहम आदेश दिया। कालेधन की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाने का फैसला किया है। साथ ही, केंद्र को यह निर्देश भी दिया कि जर्मन बैंक में जमा कालेधन का दस्‍तावेज याचिकाकर्ता को मुहैया करवाएं।
जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमबी शाह से कालेधन के मामलों की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल की अध्यक्षता करने के लिए कहा है।
गौर हो कि केंद्र सरकार ने करीब तीन साल तक प्रतिरोध करने के बाद बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट को 18 व्यक्तियों के नामों की जानकारी दी जिन्होंने कथित रूप से जर्मनी के लिशटेंसटाइन में एलएसटी बैंक में कालाधन जमा कर रखा था और जिनके खिलाफ आय कर विभाग ने मुकदमा शुरू किया है। केंद्र सरकार के हलफनामे में शामिल इन नामों की सूची में अंब्रूनोवा ट्रस्ट और मर्लिन मैनेजमेन्ट एसए के मोहन मनोज धूपेलिया, अंबरीश मनोज धूपेलिया, भव्य मनोज धूपेलिया, मनोज धूपेलिया और रूपल धूपेलिया के नाम शामिल हैं।
केंद्र के अनुसार आयकर विभाग को मनीषी ट्रस्ट के चार सदस्यों के खिलाफ भी सबूत मिले हैं। इनमें हसमुख ईश्वरलाल गांधी, चिंतन हसमुख गांधी, मधु हसमुख गांधी और स्व मीरव हसमुख गांधी शामिल हैं। सरकार ने कहा कि रूविषा ट्रस्ट से चंद्रकांत ईश्वरलाल गांधी, राजेश चंद्रकांत गांधी, विरज चंद्रकांत गांधी और धनलक्ष्मी चंद्रकांत गांधी के खिलाफ भी कानूनी कार्यवाही शुरू की है। इस सूची में डेन्सी स्टिफटंग और ड्रायड सैटिफटंफ ट्रस्ट के अरूणकुमार रमणीकलाल मेहता और हषर्द रमणीकलाल मेहता के नाम भी शामिल हैं। वेबस्टर फाउण्डेशन से केएम मैम्मन, उर्वशी फाउण्डेशन से अरूण कोछड़ और राज फाउण्डेशन से अशोक जयपुरिया का नाम भी सूची में है। केंद्र सरकार ने सीलबंद लिफाफे में उन व्यक्तियों के नाम भी दिये हैं जिनके खिलाफ आठ मामलों में कर चोरी का कोई सबूत नहीं मिला है।
सरकार ने न्यायमूर्ति एचएल दत्तू, न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर की तीन सदस्यीय खंडपीठ से अनुरोध किया था कि इन नामों को सार्वजनिक नहीं किया जाए। जिस पर न्यायालय ने कहा था कि इन दस्तावेजों के ब्यौरे पर वे आपस में चर्चा करके एक मई को इस मामले में निर्णय करेंगे। (एजेंसी इनपुट के साथ)

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