आतंकवाद से व्यक्तिगत और सामूहिक तौर पर निपटने की जरूरत: प्रणब

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पाकिस्तान के पारंपरिक सहयोगी तुर्की की अपनी पहली यात्रा के दौरान आज सीमा पारीय आतंकवाद का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इससे ‘व्यक्तिगत और सामूहिक’ दोनों तरह से निपटने की जरूरत है क्योंकि यह विश्व शांति के लिए खतरा है।

राष्ट्रपति के विशेष विमान से : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पाकिस्तान के पारंपरिक सहयोगी तुर्की की अपनी पहली यात्रा के दौरान आज सीमा पारीय आतंकवाद का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इससे ‘व्यक्तिगत और सामूहिक’ दोनों तरह से निपटने की जरूरत है क्योंकि यह विश्व शांति के लिए खतरा है।
राष्ट्रपति ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय मुद्दों को सुलझाने में भारत किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के खिलाफ है। प्रणब ने सोमवार को तुर्की के अपने समकक्ष अब्दुल्ला गुल से मुलाकात और तुर्की के प्रधानमंत्री रेसेप तैयिप एर्दोगन से ‘सीमित’ बातचीत की।
राष्ट्रपति ने कहा था कि दोनों नेताओं ने उनके साथ इस बात पर सहमति जताई कि आतंकवाद विश्व को खतरा पहुंचा रही बुराई है और इससे ‘व्यक्तिगत तथा सामूहिक’ दोनों तरह निपटे जाने की जरूरत है। तुर्की ‘ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कान्फ्रेंस’ (ओआईसी) का महत्वपूर्ण सदस्य है और समूह का महासचिव पद उसके पास है तथा उसे पाकिस्तान का पारंपरिक सहयोगी माना जाता है।
उन्होंने विमान में सवार संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा, ‘मैंने तुर्की के नेताओं को आतंकवाद, खासकर सीमा पार आतंकवाद से जुड़ी हमारी समस्याओं से अवगत कराया। मैंने उन्हें पाकिस्तान के साथ मित्रवत संबंधों और शांति को बढ़ावा देने के लिए हमारी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में भी अवगत कराया।’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘हम इस बात पर सहमत हुए कि आतंकवादी अकारण विनाश करते हैं और उनका कोई धर्म, कोई मित्र नहीं हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि तुर्की के प्रधानमंत्री ने आतंकवाद से निपटने के अनुभवों को लेकर भारत से सहायता मांगी, जिस बुराई का सामना तुर्की भी कर रहा है।
राष्ट्रपति ने इस बात से इंकार किया कि भारत चाहता है कि आतंकी ढांचे को खत्म करने में तुर्की, पाकिस्तान पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करे। उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान के संबंध में हमारा रूख यह है कि यह आवश्यक तौर पर एक द्विपक्षीय मुद्दा है जिसे शिमला समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान को सुलझाना है।’
प्रणब ने कहा, ‘इसलिए, इन मुद्दों पर किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप का सवाल ही नहीं उठता और भारत ने कभी भी किसी तीसरे देश के हस्तक्षेप की मांग नहीं की।’
यह पूछे जाने पर कि क्या तुर्की के नेतृत्व से उनकी बातचीत उस देश को पाकिस्तान से दूर करने के मामले में एक कूटनीतिक जीत है, राष्ट्रपति ने कहा, ‘आप जानते हैं कि दूसरे देश के प्रति हर देश का अपना अलग रुख होता है।’
उन्होंने कहा, ‘मैं बस इतना ही कहना चाहूंगा कि मैंने उन्हें पाकिस्तान पर हमारी पहल तथा उन जरूरतों से भी अवगत कराया जो बार-बार पाकिस्तानी नेतृत्व के समक्ष रखी जाती रही हैं। और मैंने दोनों प्रधानमंत्रियों की संयुक्त राष्ट्र में हुई पिछली बैठक का भी उल्लेख किया।’
प्रणब ने कहा कि आतंकवाद पर बात करते समय हमें यह ध्यान रखना होगा कि इस बात पर सहमति है कि आतंकवादियों का किसी धर्म, देश या सीमा के प्रति कोई सम्मान नहीं है। (एजेंसी)

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