सोने का खजाना निकला तो...

मान लीजिए डौडिया खेड़ा गांव स्थित किले से एक हजार टन सोना निकल गया, एक हजार टन सोने का मतलब करीब तीन लाख करोड़ रुपये। तो सोचिए क्या-क्या हो सकता है इतने कीमत के सोने से? कुछ नहीं तो सोनिया गांधी का सपना जरूर साकार हो जाएगा मतलब तीन साल की भोजन की गारंटी।

प्रवीण कुमार
जहां डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा
वो भारत देश है मेरा।
जहां सत्य, अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा
वो भारत देश है मेरा।
ये धरती वो जहां ऋषि मुनि जपते प्रभु नाम की माला
वो भारत देश है मेरा।

फिल्म सिकंदर-ऐ-आजम का यह बहुचर्चित गीत आज साकार होता दिख रहा है। कानपुर के पास उन्नाव का डौडिया खेड़ा गांव, राजा राव रामबख्श सिंह, शोभन सरकार कुछ ऐसे शब्द हैं जो इस गीत की सामयिकता को समेटकर देश की किस्मत बदलने के लिए आतुर हैं। जी हां! हम बात कर रहे हैं उसी सोने के खजाने की जिसपर पिछले एक सप्ताह से पूरे देश की निगाहें टिकी हैं। लेकिन कुछ सवाल हर किसी की जेहन में कौंध रहे हैं- क्या एक सपना सच हो सकता है, क्या सपने में किसी को बोली गई बात सच हो सकती है और क्या कोई आत्मा एक महंत को सपने में खजाने का पता बता सकती है। यकीन तो नहीं होता, लेकिन यह सपना सच हुआ तो देश की तस्वीर बदल जाएगी।
मान लीजिए एक हजार टन सोना निकल गया, एक हजार टन सोने का मतलब करीब तीन लाख करोड़ रुपये। सोचिए क्या-क्या हो सकता है इतने कीमत के सोने से? 3 लाख करोड़ के सोना से देश का आयात बिल घट सकता है। दावे के मुताबिक सोना मिला तो भारत को अगले 434 दिन तक विदेश से सोना आयात करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इतना ही नहीं, इससे सोनिया गांधी का सपना भी साकार होगा मतलब तीन साल की भोजन की गारंटी। सरकार भोजन की गारंटी योजना पर करीब 90 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रही है। यानी खजाने से तीन साल से अधिक समय तक देश के गरीबों को भोजन की गारंटी मिल सकती है। यही नहीं देश के रिजर्व बैंक के पास करीब 550 टन रिजर्व है और इस आधार पर भारत दुनिया में 11वें नंबर पर है। दावे के मुताबिक 1000 टन सोना भारत को दुनिया में आठवें नंबर पर पहुंचा देगा।
दरअसल उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में स्थित जिस डौड़िया खेड़ा गांव की बात हम कर रहे हैं वह करीब 650 साल पुरानी रियासत है। यहां के जमींदार विशेश्वर सिंह के बेटे प्रो. लाल अमरेन्द्र सिंह की अगर हम मानें तो ये सोने का खजाना राजा राव रामबख्श सिंह के पूर्वज महाराजा त्रिलोकचंद का है। ये खजाना 16वीं शताब्दी में यहां राज करने वाले महाराज त्रिलोकचंद ने जुटाया था। मंदिर के पीछे स्थित जिस टीले में खजाना छिपे होने की बात की जा रही है वहां राजा राव रामबख्श सिंह के पिता बाबू बसंत सिंह का बैठका हुआ करता था। डौंडियाखेड़ा गांव के किले के पास जो मंदिर है, वह राजा राव रामबख्श सिंह ने बनवाया था, जबकि मंदिर के शिखर की स्थापना और मूर्ति स्थापना 1932 में जमींदार विशेश्वर सिंह ने कराई थी। ये सब कहना है प्रो. लाल का।
लेकिन सवाल ये भी जेहन में उठता है कि क्या ये मुमकिन है कि करीब 150 साल पहले देश की एक छोटी सी रियासत के पास इतना सोना हो। ये सवाल इसलिए उठता है क्योंकि भारत की समूची आबादी और मंदिरों के पास जो सोना है उसे अगर एक जगह जमा कर दिया जाए तो भी 25 हजार टन से ज्यादा सोना नहीं होगा। एक हकीकत ये भी है कि भारत में सालाना सोने की खपत एक हजार टन भी नहीं है। दुनिया भर में सोने की मांग और खपत पर नजर रखने वाली वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के मुताबिक भारत में पिछली तिमाही में सोने की खपत 300 टन थी।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की पिछली तिमाही की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के पास सबसे ज्यादा 8133 टन सोना मौजूद है। इसके बाद जर्मनी के पास 3391 टन सोना है। इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड में 2814 टन सोना है। इटली में 2451 टन, फ्रांस में 2435 टन, चीन के पास 1054 टन, स्विट्जरलैंड के पास 1040 टन, रूस के पास 981 टन, जापान के पास 765 टन और नीदरलैंड्स के पास 612 टन सोना है। इन दस देशों के बाद 11वें नंबर पर भारत आता है जहां रिजर्व बैंक के पास कुल 557 टन सोना है। जबकि दुनिया के बाकी देशों के केंद्रीय बैंकों में एक हजार टन से भी कम सोना मौजूद है।
जाहिर है कि ये सवाल किसी बड़ी पहेली से कम नहीं है कि आज से करीब डेढ़ सौ साल पहले क्या इतना सोना दुनिया में उपलब्ध था कि एक छोटी सी रियासत के राजा के पास एक हजार टन सोना रहा हो। कहानी यहीं खत्म नहीं हो रही है। उन्नाव में खजाने की भविष्यवाणी करने वाले शोभन सरकार ने सिर्फ एक जगह सोना दबे होने की जानकारी नहीं दी है। शोभन महाराज ने कुल चार जगह खजाना दबे होने का दावा किया है। ये हैं उन्नाव का डौडिया खेड़ा गांव, फतेहपुर का आदमपुर गांव, कानपुर में बिठूर किले का परेड ग्राउंड और यहीं के चौबेपुर का रमेल इलाका।
डौडिया खेड़ा गांव में सोने के खजाने की खोज के लिए खुदाई शुरू हो चुकी है। लेकिन ऐसा ही एक मंदिर पड़ोस के फतेहपुर जिले के आदमपुर गांव में भी बताया जा रहा है जहां 2500 टन सोना का खजाना है। इसे शिव चबूतरा कहते हैं। इस मंदिर के पास भी एक खंडहर है। साधु शोभन सरकार का दावा है कि आदमपुर के इस खंडहर के नीचे भी खजाना दबा हुआ है। कयास है कि आदमपुर में रीवा नरेश रघुराज सिंह ने खजाना गाड़ा था। फिलहाल आदमपुर में खजाने की खोज अभी शुरू नहीं हुई है। लेकिन तय मानिए, डौडिया खेड़ा की खुदाई में अगर साधु का सपना सच हुआ तो वाकई देश की तस्वीर बदलते देर नहीं लगेगी।

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