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नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि भारत अफगानिस्तान के संस्थागत निर्माण, प्रशिक्षण और उपकरणों के संदर्भ में अपने द्विपक्षीय योगदान को हर संभव सीमा तक बढ़ाने को तैयार है तथा बदलाव के दौर में वह काबुल के साथ खड़ा रहेगा। अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई के साथ मुलाकात के दौरान मुखर्जी ने कहा कि भारत अफगानिस्तान की सरकार और जनता के पुनर्निर्माण एवं विकास के प्रयासों के साथ साझेदारी करके गौरवान्वित है। उन्होंने कहा कि भारत निर्णायक समय में अफगानिस्तान की सरकार और जनता के साथ खड़ा है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमें भारत-अफगानिस्तान संबंधों को सभी क्षेत्रों में मजबूत करना करना चाहिए जैसा रणनीतिक साझेदारी समझौते में कहा गया है।’’ मुखर्जी ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान के संस्थागत निर्माण, प्रशिक्षण और उपकरणों के संदर्भ में अपने द्विपक्षीय योगदान को हर संभव सीमा तक बढ़ाने को तैयार है’’ करजई ने कहा कि भारत अफगानिस्तान के सबसे करीबी देशों में है और कई सर्वेक्षणों के अनुसार अफगान जनता भारत को सबसे ज्यादा पसंद करती है।
अफगानिस्तान को ‘‘रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण’’ पड़ोसी करार देते हुए प्रवक्ता ने कहा कि दोनों देशों में रणनीतिक साझेदारी सहयोग के तहत सभी मुद्दों के समाधान की प्रणाली है । उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि प्रणाली मौजूद है और इस प्रणाली के तहत सभी मुद्दों पर चर्चा होती है । और हमारे अपने साधनों के तहत एक विकासशील देश के रूप में हम अफगानिस्तान सरकार के विशेष आग्रह पर चर्चा करते रहेंगे और प्रतिक्रिया देते रहेंगे ।’’ प्रवक्ता ने कहा, ‘‘कूटनीतिक चैनल मौजूद हैं और जब भी इन चैनलों के माध्यम से इसे उठाया जाएगा तो इन :आग्रहों: पर हम विचार करेंगे ।’’ भारत की तरफ से रक्षा सहयोग को और बढ़ाने की मांग करते हुए अब्दाली ने कहा था, ‘‘प्रशिक्षण देने का स्वागत है । छोटे चरणों में अन्य सहयोग का भी स्वागत है..लेकिन रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग की वर्तमान परिपाटी से भी हम आगे जाना चाहेंगे ।’’ भारत फिलहाल अफगानिस्तान के लोगों को क्षमता निर्माण में सहयोग कर रहा है ।
उन्होंने कहा, ‘‘..इसलिए अफगानिस्तान में हमारे सुरक्षा बलों के लिए घातक एवं गैर घातक हथियार चाहिए ।’’ इससे पहले विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा, ‘‘हमारे प्रधानमंत्री के लिए यह काफी महत्वपूर्ण अवसर है कि जो प्रगति हुई है उससे उन्हें स्वयं राष्ट्रपति द्वारा अवगत कराया जाए जिन पर इस्ताम्बुल सम्मेलन में चर्चा हुई थी ।’’ उन्होंने कहा कि दोहा सम्मेलन में हुई प्रगति और अमेरिका के साथ सुरक्षा समझौते जैसे मुद्दों पर ‘‘चर्चा होगी न कि केवल सैन्य उपकरणों पर ।’’ खुर्शीद ने कहा, ‘‘हमारे बीच रणनीतिक साझेदारी है और उस रणनीतिक साझेदारी के तहत हम क्षमता निर्माण कर रहे हैं, उन्हें गैर घातक सैन्य उपकरण, संचार, यातायात उपकरण मुहैया करा रहे हैं ।’’ भारत से घातक हथियारों की आपूर्ति प्राप्त करने में उत्सुकता दिखाने के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री ने कहा कि उनके :करजई: पास कई मुद्दे होंगे और उन मुद्दों के साथ वह हमारे प्रधानमंत्री से मिलेंगे लेकिन यह सब जारी है.. और इन सभी पर हमारी क्षमता, हमारे दर्शन के पैमाने के तहत चर्चा होगी, हम दोस्त की तरह उनकी मदद करेंगे।’’ (एजेंसी)