ऋतुपर्णो ने इंसानी रिश्तों को पर्दे पर बारिकी से उकेरा

भारतीय सिनेमा के प्रख्यात फिल्मकार ऋतुपर्णो घोष का 49 वर्ष की उम्र में गुरुवार को निधन हो गया।

कोलकाता: भारतीय सिनेमा के प्रख्यात फिल्मकार ऋतुपर्णो घोष का 49 वर्ष की उम्र में गुरुवार को निधन हो गया। वह फिल्मकार सत्यजीत रे के बाद की पीढ़ी के नामी फिल्मकारों में से एक थे। उन्होंने इंसानी रिश्तों और सामाजिक मुद्दों को रुपहले पर्दे पर बखूबी उतारा।
अग्न्याशय-शोथ से पीड़ित ऋतुपर्णो ने दक्षिणी कोलकाता के अपने आवास पर कल सुबह 7.30 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन का समाचार मिलते ही मित्र और साथी उनके घर पर जुटने लगे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी उनके घर पर पहुंचीं। उनके निधन पर शोक जताते हुए ममता ने कहा कि ऋतुपर्णो अद्वितीय थे, उनकी तुलना उन्हीं से ही की जा सकती है।
ऋतु दा बेहद कलात्मक और बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व थे। उनकी फिल्मों ने 12 राष्ट्रीय पुरस्कार जीते। उन्होंने `मेमोरीज इन मार्च` जैसी फिल्मों में अभिनय कर अपनी अभिनय क्षमता का भी लोहा मनवाया। उन्होंने कई पटकथाएं लिखीं, जिसे आलोचकों ने खूब सराहा।
ऋतुपर्णो का जन्म 31 अगस्त, 1963 को कोलकाता में हुआ था। उन्होंने विज्ञापन से अपने करियर की शुरुआत की थी। वर्ष 1992 में बांग्ला फिल्म `हीरेर अंगती` से उन्होंने बतौर निर्देशक अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। लेकिन उन्हें वर्ष 1994 की उनकी फिल्म `उनीशे एप्रिल` से ख्याति मिली, जिसने सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म की श्रेणी में राष्ट्रीय पुरस्कार जीता और फिल्म की नायिका देबाश्री रॉय को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का खिताब मिला।
राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली उनकी अन्य बांग्ला फिल्मों में `दहन`, `बाड़ीवाली`, `असुख`, `उत्सव`, `शुभ मुहूर्त`, `चोखेर बाली`, `दोसर`, `सोब चरित्रो काल्पनिक` और `अबोहोमान` शामिल हैं।
किरण खेर अभिनीत `बाड़ीवाली` को वर्ष 2000 में बर्लिन अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में नेटपैक अवार्ड भी मिला था।
वर्ष 2012 में प्रदर्शित `चित्रांगदा` ऋतुपर्णो की आखिरी फिल्म थी, जिसमें उन्होंने अभिनय भी किया था। इस फिल्म ने राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड में स्पेशल जूरी सम्मान प्राप्त किया।
उन्होंने वर्ष 2007 में अपनी एकमात्र अंग्रेजी फिल्म `द लास्ट लियर` बनाई थी, जिसमें बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन ने अभिनय किया था। इसने अंग्रेजी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का खिताब जीता था।
ऋतुपर्णो ने दो हिंदी फिल्मों- `रेनकोट` (2004) और `सनग्लास` (2012) का भी निर्देशन किया। इनमें `रेनकोट` को हिंदी में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है।
कोलकाता में जन्मे और पले बढ़े फिल्मकार ऋतुपर्णो घोष वृत्तचित्र फिल्म निर्माता सुनील घोष के पुत्र थे। उन्होंने स्कूली शिक्षा कोलकाता के साउथ प्वाइंट स्कूल से पाई थी, जबकि उच्च शिक्षा जाधवपुर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में प्राप्त की। उन्होंने कई गद्य लिखे। वह स्थानीय बांग्ला समाचार-पत्र में स्तंभ भी लिखते थे, जो खूब पढ़ा जाता था। (एजेंसी)

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