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Pitru Paksha Upay: ज्योतिष शास्त्र में पूजा-पाठ के दौरान दीपक जलाने का विशेष महत्व बताया गया है. भाद्रपद पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है और अश्विन अमावस्या के दिन इनका समापन होता है. बता दें कि 29 सितंबर से श्राद्ध क्रर्म की शुरुआत हो जाती है. ये 16 दिन पितरों को याद उनके निमित्त तर्पण, श्राद्ध कर्म और पिंडदान आदि किया जाता है. इससे पूर्वज तृप्त होकर वंशजों पर कृपा बरसाते हैं और घर में सुख-समृद्धि और धन-वैभव का आशीर्वाद देते हैं.
श्राद्ध कर्म के दौरान पूजा-पाठ के साथ-साथ नियमित रूप से दीपक जलाने का भी विशेष महत्व बताया गया है. वास्तु शास्त्र में कुछ ऐसी जगहों का जिक्र किया गया है, जहां पर पितरों का वास होता है. शास्त्रों के अनुसार जिस प्रकार मां लक्ष्मी के लिए घी का दीपक, हनुमान जी के लिए चमेली के तेल का दीपक और शनि महाराज के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है. उसी तरह पितृ पक्ष में भी अलग-अलग दीपक जलाए जाते हैं. जानें ये 16 दिन किस दिशा और किन जगहों पर दीपक जलाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
पितृपक्ष में घर की इन जगहों पर जलाएं दीपक
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृपक्ष क 16 दिन पितरों का स्मरण किया जाता है. इन दिनों में घर के दक्षिण दिशा में दीपक जलाना बेहद शुभ माना गया है. बता दें कि वास्तु में दक्षिण दिशा में पितरों का वास बताया गया है. ऐसे में सुबह-शाम घर में दीपक जरूर जलाएं. ऐसी मान्यता है कि घर की दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से पितृ प्रसन्न होते हैं. साथ-साथ कृपा भी प्रदान करते हैं.
- ऐसी धार्मिक मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक जलाएं. इससे पितर देव बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं. साथ ही, वंशजों को सभी मनोकामनाएं पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं.
- धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पितृ पक्ष के दिन पितरों की कृपा पाने के लिए उत्तम माने जाते हैं. इन दिनों में पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से पितृ देव प्रसन्न होते हैं. साथ ही, कृपा बरसाते हैं. कहते हैं कि पीपल के पेड़ में देवी-देवताओं के अलावा पितरों का वास होता है. इसलिए ये 16 दिन पीपल के पेड़ के पास घी का दीपक अवश्य जलाएं.
- वास्तु जानकारों का कहना है कि पितृपक्ष में नियमित रूप से शाम के समय किचन में पानी की जगह पर दीपक जलाना शुभ माना गया है. इससे पितर प्रसन्न होते हैं और वंशजों को आशर्वाद देते हैं. इससे पितर तो प्रसन्न होते ही हैं. साथ ही, मां लक्ष्मी और मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)