राजस्थान का बाड़मेर लोकसभा क्षेत्र देश के सबसे बड़े तेल और कोयला उत्पादक क्षेत्रों में से एक है. बाड़मेर शहर की स्थापना बहाड़ राव पारमार ने साल 1552 में की थी. राजस्थान के पश्चिम में स्थित इस क्षेत्र में प्रसिद्ध किले, जैन एवं हिन्दू मंदिर एवं ग्रामीण परिवेश पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हैं. बाड़मेर थार मरुस्थल के एक बड़े भाग से जुड़ा है. उत्तर में जैसलमेर जिले, दक्षिण में जालौर जिले, पूर्व में पाली और जोधपुर जिले तथा पश्चिम में पाकिस्तान से घिरे बाड़मेर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में 18 तहसील और कुल 8 विधानसभा क्षेत्र हैं. इस लोकसभा सीट में बाड़मेर जिले के सात शियो (शिव), बाड़मेर, बायतू, पंचपदरा, सिवाना, गुड़ामलानी और चौहटन और एक जैसलमेर जिले का जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र शामिल है. साल 1952 में अस्तित्व में आने के बाद इस सीट पर राजपूत समाज और निर्दलीय प्रत्याशी का दबदबा रहा है. बाद में वर्ष 1991 से 1999 लगातार कांग्रेस और जाट समाज का दबदबा कायम रहा. राजपूत और जाट दोनों समाजों के बीच यह लोकसभा सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न बना रहा है. वर्ष 2019 में भाजपा के विजयी उम्मीदवार केन्द्रीय मंत्री कैलाश चौधरी दोबारा मैदान में हैं. कांग्रेस ने उम्मेदाराम बेनीवाल को चुनाव मैदान में उतार रखा है. यहां निर्दलीय प्रत्याशी रविन्द्र सिंह भाटी की सभाओं में उमड़ी भीड़ ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना रखा है.
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