संपत्ति को लेकर परामर्श देने वाली कंपनी नाइट फ्रैंक की इंडिया वेयरहाउसिंग मार्केट 2019 रिपोर्ट में कहा गया कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन के बाद विनिर्माण एवं ई-वाणिज्य कंपनियों के द्वारा लॉजिस्टिक के लिये जगह की मांग बढ़ने से यह निवेश आया है.
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नई दिल्ली: वेयरहाउसिंग क्षेत्र ने संस्थागत निवेशकों एवं डेवलपरों से वर्ष 2014 से अब तक करीब 6.80 अरब डॉलर यानी करीब 47,385 करोड़ रुपये जुटाये हैं. एक रिपोर्ट में बुधवार को यह जानकारी दी गयी. संपत्ति को लेकर परामर्श देने वाली कंपनी नाइट फ्रैंक की इंडिया वेयरहाउसिंग मार्केट 2019 रिपोर्ट में कहा गया कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन के बाद विनिर्माण एवं ई-वाणिज्य कंपनियों के द्वारा लॉजिस्टिक के लिये जगह की मांग बढ़ने से यह निवेश आया है. उसने कहा कि वर्ष 2018 में वेयरहाउसिंग के लिये जगह की मांग 77 प्रतिशत बढ़कर 462 लाख वर्ग फुट पर पहुंच गयी.
नाइट फ्रैंक ने कहा, ‘‘वेयरहाउसिंग क्षेत्र में संस्थागत निवेशकों के साथ ही डेवलपरों की भारी भागीदारी देखी गयी है. इन्होंने सामूहिक तौर पर 2014 के बाद से 6.80 अरब डॉलर से अधिक निवेश किया है. इनका औसत निवेश 28.20 करोड़ डॉलर प्रति सौदा रहा है.’’ वेयरहाउसिंग उद्योग के कुल निवेश में निजी इक्विटी की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी रही. इसके बाद स्वायत्त कोष की 31 प्रतिशत और पेंशन निधियों की 20 प्रतिशत हिस्सेदारी रही.
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) शिशिर बैजल ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि का भारतीय वेयरहाउसिंग उद्योग की वृद्धि पर सर्वाधिक असर देखने को मिला.