मुकेश अंबानी के बाद लक्ष्मी मित्तल ने छोटे भाई का कर्ज चुकाकर कानूनी संकट से बचाया
Advertisement
trendingNow1509884

मुकेश अंबानी के बाद लक्ष्मी मित्तल ने छोटे भाई का कर्ज चुकाकर कानूनी संकट से बचाया

लक्ष्मी निवास मित्तल ने अपने छोटे भाई प्रमोद मित्तल को 2210 करोड़ रुपये के भुगतान में मदद की है.

मित्तल बंधुओं के बीच 1994 में कारोबार का विभाजन हो गया था. (फाइल फोटो PTI)

नई दिल्ली: पिछले दिनों मुकेश अंबानी सोशल मीडिया पर छा गए थे. इसकी वजह थी कि उन्होंने अपने छोटे भाई अनिल भाई को जेल जाने से बचाया. अनिल अंबानी को एरिक्शन ग्रुप को सैकड़ों करोड़ चुकाने थे. आखिरी वक्त तक वे इतनी रकम जुटाने में असमर्थ रहे, ऐसे में उनका जेल जाना तय था. लेकिन, अंत समय में मुकेश अंबानी ने उनकी मदद की और अपने भाई को जेल जाने से बचाया. मीडिया में यह खबर छाई रही. मुकेश अंबानी की तर्ज पर स्टील किंग लक्ष्मी निवास मित्तल ने भी अपने छोटे भाई को आर्थिक मदद देकर उन्हें कानूनी संकट से बचाया.

इस्पात क्षेत्र के दिग्गज कारोबारी लक्ष्मी निवास मित्तल ने नकदी संकट से जूझ रहे अपने छोटे भाई प्रमोद की स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन (एसटीसी) का बकाया चुकाने में मदद की है. इससे प्रमोद को कानूनी संकट से बचने में मदद मिली है. यह एक सप्ताह में दूसरा मौका है जब एक अमीर बड़े भाई ने संकट से जूझ रहे छोटे भाई की मदद की है. पिछले सप्ताह ही सबसे अमीर भारतीय मुकेश अंबानी ने अपने छोटे भाई अनिल अंबानी को स्वीडन की दूरसंचार उपकरण कंपनी एरिक्सन के बकाये का भुगतान कर उन्हें जेल जाने से बचाया है. 

fallback

ग्लोबल स्टील होल्डिंग के मालिक प्रमोद कुमार मित्तल (57) ने उनके 2,210 करोड़ रुपये के बकाये के भुगतान में उल्लेखनीय हिस्से को पूरा करने में मदद के लिए आभार जताया है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने भाई लक्ष्मी मित्तल का आभारी हूं जिन्होंने मुझे एसटीसी का बकाया चुकाने में मदद की. उनकी इस उदारता की वजह से उच्चतम न्यायालय के आदेश का अनुपालन हो सका है.’’ 

अनिल के मुश्किल वक्‍त में मुकेश अंबानी ने दिया साथ, रिश्‍तों में आ सकता है नया बदलाव

मित्तल बंधुओं के बीच 1994 में कारोबार का विभाजन हो गया था. इसके बाद बड़े भाई दुनिया के सबसे बड़े इस्पात विनिर्माण कंपनी आर्सेलर मित्तल के प्रमुख बन गये. छोटे भाई प्रमोद मित्तल की कंपनियां ग्लोबल स्टील होल्डिंग्स लिमिटेड और ग्लोबल स्टील फिलिपींस इंक भारत की स्टेट ट्रेडिंग कारपोरेशन (एसटीसी) का बकाया चुकाने में असफल रही. इसके बाद सार्वजनिक क्षेत्र की इस कंपनी ने उनके खिलाफ कई मामले अदालत में दायर कर दिये.

Trending news