भगोड़े नीरव मोदी के खिलाफ तेज हुई कार्रवाई, ED ने दाखिल की नई चार्जशीट
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भगोड़े नीरव मोदी के खिलाफ तेज हुई कार्रवाई, ED ने दाखिल की नई चार्जशीट

सूत्रों के मुताबिक ब्रिटेन के गृह विभाग से जैसे ही प्रत्यर्पण के लिए मंजूरी मिलेगी वैसे ही CBI और ED की टीम लंदन के लिए रवाना हो जाएगी.

नीरव मोदी लंदन के पॉश इलाके में 60 करोड़ के अपार्टमेंट में रह रहा है. (फाइल)

नई दिल्ली: भगोड़े कारोबारी नीरव मोदी के खिलाफ शिकंजा कसता जा रहा है. जानकारी के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मुंबई में उसके खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है. पिछले सप्ताह ब्रिटेन के एक अंग्रेजी अखबार ने रिपोर्ट की थी वह लंदन के एक पॉश इलाके में 70 करोड़ के लग्जरी अपार्टमेंट में रह रहा है. जिस अपार्टमेंट में वह रहता है उसका किराया 16 लाख रुपये है. नीरव मोदी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने PMLA के अंतर्गत और CBI की FIR को आधार मानते हुए मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में नई चार्जशीट दाखिल की है. CBI ने उसके खिलाफ सेक्शन 120 (बी) और IPC की धारा 420 में मामला दर्ज किया है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि ब्रिटेन द्वारा प्रत्यर्पण के मामले में फैसला लिए जाने के बाद ED और CBI की टीम तुरंत लंदन के लिए रवाना हो जाएगी.

नीरव मोदी को ब्रिटेन से लाने के लिए भारत की तमाम एजेंसियां पूरी कोशिश कर रही है. पिछले दिनों CBI की तरफ से बयान जारी कर कहा गया था कि उसके प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटेन की जांच एजेंसियां हरसंभव मदद करेगी. 2018 के अगस्त में जब यह पता चला कि वह ब्रिटेन में रह रहा है तब भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से प्रत्यर्पण अनुरोध भेजा गया था. पिछले साल ब्रिटेन ने उसके खिलाफ जारी रेड कॉर्नर नोटिस का जवाब दिया था.

लंदन: 60 करोड़ के अपार्टमेंट में रहता है भगोड़ा नीरव मोदी, पहनता है 10 लाख की जैकेट

ब्रिटेन के अखबार ने जब बीते शनिवार (9 मार्च) को रिपोर्ट की थी कि वह लंदन में रह रहा है तब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा था कि सरकार और जांच एजेंसियों को पता है कि वह लंदन में रह रहा है. साथ में उन्होंने यह भी कहा था कि अगर वह लंदन में देखा गया तो इसका मतलब नहीं है कि उसे तुरंत पकड़ कर लाया जा सकता है.

रवीश कुमार ने कहा कि ब्रिटेन को 2018 में ही प्रत्यर्पण अनुरोध भेजा गया था. बातचीत लगातार जारी है. इसके अलावा मामले की जांच कर रही CBI ने भी अलग से अनुरोध भेजा था. दोनों अनुरोध ब्रिटिश सरकार के सामने विचाराधीन हैं.

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