देशी नहीं विदेशी अर्थशास्त्री भी कर रहे मोदी सरकार की नीतियों की तारीफ
Advertisement
trendingNow1497689

देशी नहीं विदेशी अर्थशास्त्री भी कर रहे मोदी सरकार की नीतियों की तारीफ

फ्रांस के अर्थशास्त्री गॉय सोरमैन ने कहा कि कम महंगाई दर और अपेक्षाकृत कम भ्रष्टाचार के साथ कारोबारियो को पहले से बेहतर माहौल मिला है.

उन्होंने कहा कि वित्तीय बाजार में सकारात्मक बदलाव, निवेश में वृद्धि तथा जीडीपी की ऊंची वृद्धि दर के लिये सरकार की नीतियों को श्रेय जाता है. (फाइल)

नई दिल्ली: फ्रांस के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री गॉय सोरमैन ने रविवार को नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों की जमकर सराहना की. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की सकारात्मक और सुसंगत नीतियों ने भारतीय उद्यमियों के लिये बेहतर कारोबारी माहौल तैयार किया है. सोरमैन ने पीटीआई- भाषा के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘किसी को भी किसी सरकार से आर्थिक चमत्कार की उम्मीद नहीं करनी चाहिये. यह कहा जा सकता है कि मोदी सरकार की नीतियां सकारात्मक और सुसंगत रही हैं. उन्होंने कम मुद्रास्फीति और अपेक्षाकृत कम भ्रष्टाचार के साथ उद्यमियों को पहले से बेहतर माहौल दिया है.’’ 

सोरमैन ने ‘इकोनॉमिक्स डज नोट लाय: ए डिफेंस ऑफ दी फ्री मार्केट इन ए टाइम ऑफ क्राइसिस’ समेत कई किताबें लिखी हैं. उन्होंने कहा कि वित्तीय बाजार में सकारात्मक बदलाव, निवेश में वृद्धि तथा जीडीपी की ऊंची वृद्धि दर के लिये सरकार की नीतियों को श्रेय जाता है. उन्होंने कहा, ‘‘मोदी की अर्थनीति सकारात्मक रही है और जहां तक मुझे ध्यान है, यह पिछली किसी भी सरकार से काफी बेहतर है.’’ 

IMF का दावा: 2019 में रफ्तार पकड़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था, विकास दर चीन से होगी ज्यादा

अंतरिम बजट में छोटे किसानों के लिये छह हजार रुपये सालाना की वित्तीय सहायता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि गरीब और पिछड़े लोगों को आर्थिक सहायता मुहैया कराने को अब अर्थशास्त्री भी गरीबी दूर करने का सबसे प्रभावी तरीका मानने लगे हैं.

मोदी सरकार की पूरी दुनिया में 'जय-जय', 'सबसे कमजोर देशों'' से निकालकर रचा इतिहास

उन्होंने कहा, ‘‘इस आधार पर इस तरह की आर्थिक सहायता को सही कहा जा सकता है.’’सोरमैन ने वृद्धि तथा रोजगार को लेकर हालिया विवाद के बारे में पूछे जाने पर कहा कि भारत व्यापक रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था आधारित देश है जहां अनौपचारिक और वस्तु विनिमय चलन में है. ऐसे में आंकड़े जुटाना मुश्किल काम है. उन्होंने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण आंकड़ा प्रति व्यक्ति आय का होता है न कि राष्ट्रीय जीडीपी. यह भी बुद्धिमतापूर्ण होगा कि अधिक विश्वसनीय आंकड़े जमा करने के लिये सरकारी तथा निजी क्षेत्र के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ाया जाए.’’ 

(इनपुट-भाषा)

Trending news