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नई दिल्ली: Insurance Policy Complaint: आपको पॉलिसी बेचने के बाद इंश्योरेंस ब्रोकर्स अक्सर गायब हो जाते हैं, लेकिन अब अगर आप ब्रोकर्स की पॉलिसी सेवाओं से खुश नहीं हैं तो उसकी शिकायत करना आसान हो गया है. इसके लिए आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है. ये शिकायत ऑनलाइन की जा सकती है.
सरकार ने बीमा लोकपाल नियम-2017 (Insurance Ombudsman Rules, 2017) में संशोधन किया है. अब इंश्योरेंस ब्रोकर्स भी इसके दायरे में आएंगे. पॉलिसीहोल्डर्स अब इंश्योरेंस ब्रोकर्स के खिलाफ ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा पाएंगे. वित्त मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी कर इसे लागू कर दिया है.
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संशोधित नियम में लोकपाल के दायरे को बढ़ा दिया गया है. पहले बीमा कर्मचारियों, एजेंट्स, ब्रोकर्स और बिचौलियों के साथ किसी तरह के विवाद की ही शिकायत कर सकते थे, अब इनकी सेवाओं में खामियों की भी शिकायत कर सकते हैं. इसके अलावा इंश्योरेंस ब्रोकर्स को भी लोकपाल के दायरे में लाया गया है.
1. सरकार ने बीमा लोकपाल नियम, 2017 में संशोधन को अधिसूचित किया है. इस संशोधन के बाद कामकाज में सुधार के साथ-साथ बीमा सेवाओं में कमियों के बारे में शिकायतों के समाधान निष्पक्ष, किफायती और समय से करने की भी सुनवाई होगी. नए नियमों के तहत, बीमा लोकपाल परिषद बीमा कंपनियों के कार्यकारी परिषद के कर्तव्यों को संभालेगी.
2. अब लोकपाल सिर्फ विवाद की हालत में नहीं बल्कि किसी बीमा कंपनी की ओर से सेवाओं में खामी के बारे में भी शिकायतों की सुनवाई भी करेगा सुनेगा और उन पर विचार करेगा. यह शिकायतें इश्योरेंस एक्ट 1938 या IRDAI रेगुलेशन 2017 के नियमों या प्रावधानों के किसी भी उल्लंघन के बारे में हो सकती हैं. वित्त मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में इन बदलावों का प्रारूप जारी किया था यानी अब बीमा ब्रोकर भी लोकपाल के दायरे में आएंगे.
3. संशोधित नियमों के तहत अब पॉलिसीहोल्डर्स लोकपाल को अपनी शिकायतें इलेक्ट्रॉनिक रूप से कर सकेंगे और शिकायत प्रबंधन प्रणाली को विकसित किया जाएगा ताकि पॉलिसीधारक अपनी शिकायतों का स्टेटस भी ऑनलाइन ही जान सकें. इसके अलावा, लोकपाल सुनवाई के लिए वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. लोकपाल के लिए चयन समिति में अब उपभोक्ता अधिकारों को बढ़ावा देने या बीमा क्षेत्र में उपभोक्ता संरक्षण के कारण को आगे बढ़ाने के ट्रैक रिकॉर्ड वाला व्यक्ति शामिल होगा.
सरकार की तरफ से यह पहल बीमा लेने वाले पॉलिसीहोल्डर्स के साथ होने वाली धोखाधड़ी और उन्हें समय पर सेवा मिलने में होने वाली दिक्कतों को देखते हुए किया गया है. कई बार पॉलिसीहोल्डर्स के पास बीमा होने के बावजूद उन्हें पॉलिसी का लाभ नहीं मिल पाता है.
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