Income Tax: इन 4 में क‍िसी एक तरीके से टैक्‍सपेयर्स को राहत देगी सरकार! म‍िड‍िल क्‍लास की हो जाएगी बल्‍ले-बल्‍ले
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Income Tax: इन 4 में क‍िसी एक तरीके से टैक्‍सपेयर्स को राहत देगी सरकार! म‍िड‍िल क्‍लास की हो जाएगी बल्‍ले-बल्‍ले

India Budget 2024: इस बार का बजट म‍िड‍िल क्‍लास को ध्‍यान में रखकर पेश क‍िया जा सकता है. व‍ित्‍त मंत्री की तरफ से पेश क‍िये जाने वाले बजट में इस बार इनकम टैक्‍स स्‍लैब को लेकर कोई बड़ा ऐलान क‍िये जाने की संभावना है.

Income Tax: इन 4 में क‍िसी एक तरीके से टैक्‍सपेयर्स को राहत देगी सरकार! म‍िड‍िल क्‍लास की हो जाएगी बल्‍ले-बल्‍ले

Income Tax Slab: व‍ित्‍त मंत्री न‍िर्मला सीतारमण इस बार का बजट 23 जुलाई 2024 को पेश करेंगी. मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट के दौरान म‍िड‍िल क्‍लास को राहत देने की उम्‍मीद की जा रही है. यह राहत आयकर स्‍लैब में बदलाव के तौर पर देखी जा सकती है. देश के टैक्‍स स‍िस्‍टम में साल 2020-21 में बड़ा बदलाव क‍िया गया, उस समय व‍ित्‍त मंत्री ने न्‍यू टैक्‍स र‍िजीम सिस्टम को शुरू क‍िया था. इसके बाद टैक्सपेयर्स के पास दो ऑप्‍शन थे पहला ये क‍ि वो ओल्‍ड टैक्‍स र‍िजीम को जारी रखें, जिसमें कई छूट और कटौतियां शाम‍िल हैं. इसके अलावा दूसरा व‍िकल्‍प न्‍यू टैक्‍स र‍िजीम को स‍िलेक्‍ट करना, ज‍िसमें टैक्स की दरें कम थीं लेकिन छूट और कटौतियां भी कम थीं.

न्‍यू टैक्‍स र‍िजीम पर सरकार का ज्‍यादा जोर!

साल 2023-24 में टैक्स स्लैब को कम किया गया और ज्यादा छूट दी गई. स्टैंडर्ड डिडक्शन की सुविधा भी शुरू की गई और ज्यादा कमाई वालों पर लगने वाले सरचार्ज को कम किया गया, ताक‍ि नया टैक्स सिस्टम ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को पसंद आए. अब उम्‍मीद की जा रही है क‍ि इस बार पेश होने वाले बजट में सरकार की तरफ से न्‍यू टैक्‍स र‍िजीम में छूट को बढ़ाया जाए. न्‍यू टैक्स र‍िजीम को ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं ताक‍ि ज्यादा से ज्यादा टैक्स देने वाले लोग इस सिस्टम को चुनें और इसी में रहें. इससे सभी के लिए एक ही टैक्स सिस्टम हो सकता है.

टैक्‍स स्‍लैब और र‍िबेट में बदलाव
टाइम्‍स ऑफ इंड‍िया (TOI) में प्रकाश‍ित खबर के अनुसार न्‍यू टैक्स र‍िजीम में अभी बेसिक छूट की सीमा 3 लाख रुपये है. लेकिन 25 हजार रुपये की पूरी छूट मिलने की वजह से न्‍यू टैक्‍स र‍िजीम को चुनने वाले और सालाना 7 लाख रुपये तक कमाने वाले लोगों को क‍िसी प्रकार का टैक्स नहीं देना पड़ता. वित्त मंत्री इस बार बेस‍िक छूट की ल‍िम‍िट को बढ़ाकर कम से कम 5 लाख रुपये कर सकती हैं. सरकार 10 लाख रुपये तक की टैक्सेबल इनकम पर पूरी तरह छूट देने का भी विचार कर सकती है, अभी यह ल‍िम‍िट 7 लाख रुपये है. अगर ऐसा होता है तो टैक्‍सपेयर्स ओल्‍ड टैक्‍स र‍िजीम से न्‍यू र‍िजीम पर श‍िफ्ट हो सकते हैं.

सैलरीड क्‍लास के ल‍िए स्टैंडर्ड डिडक्शन में इजाफा
सरकार सिर्फ न्‍यू टैक्स सिस्टम को स‍िलेक्‍ट करने वाले टैक्‍सपेयर्स के ल‍िए स्टैंडर्ड डिडक्शन को दोगुना करने का प्रस्ताव दे सकती है. अभी यह ल‍िमिट 50 हजार रुपये की है. लेक‍िन यद‍ि कोई न्‍यू टैक्‍स र‍िजीम को स‍िलेक्‍ट करता है तो स्टैंडर्ड डिडक्शन की यह ल‍िमि‍ट 50 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये तक की जा सकती है. इससे टैक्सेबल इनकम कम हो जाएगी और इससे लाखों टैक्सपेयर्स का टैक्स का बोझ कम होगा.

NPS में न‍िवेश पर स्‍पेशल ट्रीटमेंट
अभी न्‍यू और ओल्‍ड टैक्‍स र‍िजीम में नियोक्ता की तरफ से नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में द‍िये जाने वाले कॉन्‍ट्रीब्‍यूशन पर एक जैसी छूट है. यह छूट सैलरी (बेसिक प्लस महंगाई भत्ता) के 10% तक होती है. लेकिन यद‍ि कोई व्यक्ति खुद NPS में योगदान देता है तो उसे सिर्फ ओल्‍ड टैक्स र‍िजीम में ज्यादा से ज्यादा 50 हजार रुपये की छूट मिलती है. सरकार ने चूंकि पारंपरिक तरीकों की जगह NPS में निवेश को बढ़ावा दिया है, इसलिए न्‍यू टैक्स र‍िजीम में भी NPS में खुद के योगदान पर छूट देना सही होगा.

होम लोन के ब्‍याज पर अत‍िर‍िक्‍त छूट
छूट और कटौतियां टैक्स प्‍लान‍िंग का जरूरी हिस्सा रही हैं. खुद के घर के लिए होम लोन पर दिया जाने वाला ब्याज, घर का किराया भत्ता, सेक्शन 80C के तहत मिलने वाले फायदे जैसे पीएफ और पीपीएफ जैसे निवेश शामिल हैं. सेक्शन 80डी के तहत मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए दिया जाने वाला प्रीम‍ियम भी शामिल हैं. ये छूट और कटौतियां केवल ओल्‍ड टैक्‍स र‍िजीम में म‍िलती हैं. बहुत से टैक्सपेयर्स होम लोन लेते हैं. इसलिए न्‍यू टैक्स र‍िजीम में खुद के घर के लिए ल‍िये गए होम लोन के ब्याज पर छूट दी जा सकती है. अभी यह छूट ओल्‍ड टैक्‍स र‍िजीम में सिर्फ किराये पर दिए गए घर के लिए मिलती है. इसके अलावा, 2 लाख रुपये की मौजूदा सीमा में पिछले 10 साल से क‍िसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है. आने वाले बजट में इस ल‍िम‍िट को बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जा सकता है. ऐसा करने से टैक्सपेयर्स के घर से जुड़े खर्चों को माना जाएगा और रियल एस्टेट सेक्टर को भी बढ़ावा मिलेगा.

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