चीन को 10 तो इंडोनेशिया को लगेंगे 70 साल, कब तक भारतीयों की प्रति व्यक्ति आय होगी अमेरिका के बराबर?
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चीन को 10 तो इंडोनेशिया को लगेंगे 70 साल, कब तक भारतीयों की प्रति व्यक्ति आय होगी अमेरिका के बराबर?

World Bank Report: विश्व बैंक का कहना है कि भारत समेत 100 से अधिक देशों को अगले कुछ दशकों में उच्च आय वाला देश बनने में गंभीर बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है.

 

चीन को 10 तो इंडोनेशिया को लगेंगे 70 साल, कब तक भारतीयों की प्रति व्यक्ति आय होगी अमेरिका के बराबर?

Per capita income: अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है. अमेरिका की जीडीपी 26 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा की है. वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग एक चौथाई है. इससे स्पष्ट है कि अमेरिका में प्रति व्यक्ति आय भी काफी ज्यादा होगी. इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि भारत को प्रति व्यक्ति अमेरिकी आय के एक-चौथाई तक पहुंचने में भी लगभग 75 साल लग सकते हैं. 

विश्व बैंक की ओर से जारी हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत समेत 100 से अधिक देशों को अगले कुछ दशकों में उच्च आय वाला देश बनने में गंभीर बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. इस कारण भारत को प्रति व्यक्ति अमेरिकी आय के लगभग एक-चौथाई तक पहुंचने में भी लगभग 75 साल लग सकते हैं. 

चीन को 10 साल तो इंडोनेशिया को लगेंगे 70 साल

विश्व बैंक की 'विश्व विकास रिपोर्ट 2024: मध्यम आय जाल' के मुताबिक, चीन को प्रति व्यक्ति अमेरिकी आय के एक-चौथाई तक पहुंचने में 10 साल से अधिक और इंडोनेशिया को लगभग 70 साल लगेंगे. इस रिपोर्ट में पिछले 50 वर्षों के अनुभव के आधार पर पाया गया है कि जैसे-जैसे देश अमीर होते जाते हैं, वे आम तौर पर प्रति व्यक्ति वार्षिक अमेरिकी जीडीपी के लगभग 10 प्रतिशत के 'जाल' में फंस जाते हैं. यह 10 प्रतिशत राशि आज 8,000 अमेरिकी डॉलर के बराबर है. 

साल  2023 के अंत में विश्व बैंक ने 108 देशों को मध्यम आय वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया था. इनकी प्रति व्यक्ति वार्षिक जीडीपी 1136 अमेरिकी डॉलर से लेकर 13845 अमेरिकी डॉलर के बीच थी. इन देशों में छह अरब लोग रहते हैं, जो वैश्विक आबादी का 75 प्रतिशत है. 

तीन में से दो लोग अत्यधिक गरीब

दुनिया में प्रत्येक तीन में से दो लोग अत्यधिक गरीबी में जीवन व्यतीत कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इन देशों के लिए आगे की राह में कई चुनौतियां हैं. इनमें तेजी से उम्रदराज हो रही जनसंख्या और बढ़ता कर्ज, तेज भू-राजनीतिक और व्यापार गतिरोध और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना आर्थिक प्रगति में मुश्किलें शामिल हैं. इन चुनौतियों के बावजूद मध्यम आय वाले कई देश अभी भी पिछली सदी की रणनीति पर चल रहे हैं और मुख्य रूप से निवेश बढ़ाने के लिए बनाई गई नीतियों पर निर्भर हैं.

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