Digital Payment: कैश रखना भूल रहे लोग, अब डिजिटल हो रहा इंडिया, साल 2023 तक 7 अरब डॉलर तक पहुंचेगा डिजिटल पेमेंट
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Digital Payment: कैश रखना भूल रहे लोग, अब डिजिटल हो रहा इंडिया, साल 2023 तक 7 अरब डॉलर तक पहुंचेगा डिजिटल पेमेंट

नोटबंदी के बाद से डिजिटल पेमेंट का दौर बढ़ गया है. लोग बढ़चढ़कर डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं. लोग तो कैश रखना ही भूल गए हैं.  कैश, एटीएम की जगह अब स्मार्टफोन से होने वाले डिजिटल पेमेंट ने ले ली है.

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Digital Payment: नोटबंदी के बाद से डिजिटल पेमेंट का दौर बढ़ गया है. लोग बढ़चढ़कर डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं. लोग तो कैश रखना ही भूल गए हैं.  कैश, एटीएम की जगह अब स्मार्टफोन से होने वाले डिजिटल पेमेंट ने ले ली है. माना जा रहा है कि साल 2023 तक भारत में रिटेल डिजिटल पेमेंट 7000 अरब डॉलर को पार कर जाएगा. 

तेजी से बढ़ रहा डिजिटल पेमेंट 

डिजिटल भुगतान तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में भारत में खुदरा डिजिटल भुगतान 2030 तक मौजूदा स्तर से दोगुना होकर 7,000 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. कीर्ने और अमेज़न पे ने अपने एक अध्ययन में यह बात कही है.रिपोर्ट ‘शहरी भारतीय कैसे भुगतान करते हैं’ में कीर्ने और अमेजन पे ने कहा कि ऑनलाइन खरीद में डिजिटल भुगतान को मजबूती से अपनाने से उपभोक्ता व्यवहार में स्थायी बदलाव आने की संभावना है, जिससे ऑफलाइन खरीद को भी बढ़ावा मिलेगा.  

सर्वेक्षण में शामिल 90 प्रतिशत लोगों ने ऑनलाइन खरीदारी करते समय डिजिटल भुगतान को प्राथमिकता दी, लेकिन सबसे अधिक डिजिटल भुगतान उपयोग (डीडीपीयू) के साथ संपन्न उपभोक्ता आगे रहे. ऐसे उपभोक्ता अपने 80 प्रतिशत लेन-देन के लिए डिजिटल भुगतान के विभिन्न तरीकों का उपयोग करते हैं. रिपोर्ट में कहा गया, “युवा पीढ़ी सभी प्रकार के डिजिटल भुगतान साधनों को अपनाने में अग्रणी हैं। पुरुष और महिलाएं, दोनों ही अपने लगभग 72 प्रतिशत लेन-देन में डिजिटल भुगतान का उपयोग करते हैं, जो लैंगिक समानता को दर्शाता है. 

साल 2030 तक दोगुना होगा आंकड़ा 

यह शोध 120 शहरों में ऑफलाइन और ऑनलाइन तरीके से 6,000 से अधिक उपभोक्ताओं और 1,000 से अधिक व्यापारियों के बीच किए गए ऑनलाइन सर्वेक्षण पर आधारित है. इसमें विभिन्न क्षेत्रों, आय समूहों, शहर श्रेणियों, आयु वर्गों का प्रतिनिधित्व है। भारत में ई-कॉमर्स क्षेत्र में उछाल देखा गया है, जिसका बाजार मूल्य 2022 में 75 अरब डॉलर से 80 अरब डॉलर के बीच है। इसके 2030 तक सालाना 21 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है.  

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