नीति आयोग की हेल्थ रैंकिंग में केरल टॉप पर, बिहार और यूपी निचले पायदान पर
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नीति आयोग की हेल्थ रैंकिंग में केरल टॉप पर, बिहार और यूपी निचले पायदान पर

इससे पहले नीति आयोग ने फरवरी 2018 में पहली रैंकिंग जारी की थी. तब भी केरल पहले पायदान पर बतौर सबसे हेल्दी राज्य था.

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: देश के तमाम राज्य आखिर स्वास्थ्य के पैमाने पर कहां खड़े हैं, इसी को देखते हुए सरकार का थिंक टैंक नीति आयोग ने स्टेट हेल्थ रैंकिंग जारी की है. इस रैंकिंग के जरिये नीति आयोग ने देश के बड़े या छोटे राज्य, यूनियन टेरिटरी में स्वास्थ्य की क्या स्थिति है उसका पता लगाया है. हर बार की तरह ही एकबार फिर केरल ने बाजी मारी है और देश में नंबर वन हेल्दी राज्य है, जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश निचले पयदान पर हैं. इससे पहले नीति आयोग ने फरवरी 2018 में पहली रैंकिंग जारी की थी. तब भी केरल पहले पायदान पर बतौर सबसे हेल्थी राज्य बाजी मारी थी. नीति आयोग हेल्थ मिनिट्री के साथ मिलकर 23 अलग-अलग पैमानों पर राज्यों का आकलन करता है जिसके आधार पर स्टेट हेल्थ रैंकिंग जारी की जाती है. 

इस मुद्दो पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि छोटे राज्यों ने हेल्थ के मामले में रैंकिंग सुधारी है. उनका कहना है कि हेल्थ सिर्फ आमदनी या एवरेज पर कैपिटा इनकम पर निर्भर नहीं है. उन्होंने कहा कि कई राज्यों में सुधार की जरूरत है. इसके लिए नीति आयोग राज्यों के साथ बैठकर काम करेगा. नीति आयोग का साफ मानना है कि अगर देश में या राज्य में स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार लाना है तो पब्लिक स्पेंडिंग को बढ़ाना पड़ेगा. अभी स्थिति ये है कि अधिकतर पैसा प्राइवेट सेक्टर से खर्च होता है. इसके अलावा आयुष्मान भारत की पहल को टियर-2 और टियर-3 सेक्टर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है.

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बड़े राज्यों में हरियाणा, राजस्थान और झारखंड ने पिछली बार की तुलना में अपनी रैंकिंग में सुधार किया है, जबकि छोटे राज्यों में मिजोरम सबसे आगे रहा और त्रिपुरा और मणिपुर ने भी रैंकिंग में सुधार किया है. नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और ओडिशा वो राज्य हैं जो बेहद खराब परफॉर्म कर रहे हैं.

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