Minimum Wage: दिहाड़ी मजदूरों की हालत सुधारने के लिए और 2030 तक लाखों मजदूरों को अति गरीबी से निकालने के लिए श्रम मंत्रालय मिनिमम वेज न देकर लिविंग वेज देने की योजना बना रही है. श्रम मंत्रालय में इस योजना के लिए तेजी से मंथन चल रहा है.
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Minimum Wage: देश से गरीबी मिटाने के लिए और गरीबों का जीवन स्तर पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार बड़ी तैयारी कर रही है. देश में अभी करीब 22.89 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं. सरकार देश के गरीबों को मिलने वाले भत्ते में बदलाव करने जा रही है. दरअसल, श्रम मंत्रालय न्यूनतम मजदूरी के बजाए लिविंग वेज देने की योजना बना रहा है, जिससे गरीबों को जीवन का स्तर को बढ़ाया जा सके, या फिर ऐसे कहें कि देश से गरीबी मिटाई जा सके. सरकार इसके लिए इसमें महंगाई को ध्यान में रखते हुए बदलाव किए जाएंगे.
सरकार की क्या है योजना?
इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के अनुसार, दिहाड़ी मजदूरों की हालत सुधारने के लिए और 2030 तक लाखों मजदूरों को अति गरीबी से निकालने के लिए श्रम मंत्रालय मिनिमम वेज न देकर लिविंग वेज देने की योजना बना रही है. श्रम मंत्रालय में इस योजना के लिए तेजी से मंथन चल रहा है. मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी है कि इसके लिए अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) से भी मदद ली जाएगी, ताकि इस योजना को धरातल पर उतारने में मदद मिले.
राजनितिक असर डालेगी ये योजना
श्रम मंत्रालय ने अपने अधिकारियों को इस योजना के लिए इससे होने वाले रिजल्ट के मूल्यांकन कर रिपोर्ट ब्नानाई जाए ताकि इसका नफा और नुकसान पता चल सके. इतना ही नहीं, इस योजना को जल्दी पुरना करने के लिए ILO के सदस्यों ने लिविंग वेज को समझने के लिए संयुक्त राष्ट्र से भी मदद मांगी है. साल 2024 में ओक्सभा चुनाव है और सरकार जल्द से जल्द इस योजना को लागू करना चाहती है. दरअसल, श्रम मंत्रालय का मानना है कि लिविंग वेज भारत के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है और इसका बड़ा राजनीतिक असर भी होगा.
क्या है ये बदलाव?
गौरतलब है कि लिविंग वेज मजदूरों की जिंदगी छोटी जरूरतों को पूरी करने के लिए दिया जाता है, जबकि मिनिमम वेज कानून से फिक्स होता है यानी इसमें काम के बदले आमदनी का नियम होता है. आपको बता दें कि भारत में अभी मिनिमम वेज यानी न्यूनतम मजदूरी 178 रुपये है. जबकि अगर इसकी जगह लिविंग वेज दिया जाए तो यह रकम करीब 25 फीसदी बढ़ सकता है.