बिल्डर्स के DG चार्ज से मिलेगी होम बायर्स को राहत, NPCL लगाएगी स्पेशल मीटर
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बिल्डर्स के DG चार्ज से मिलेगी होम बायर्स को राहत, NPCL लगाएगी स्पेशल मीटर

NPCL यानी नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड एक ऐसे मीटर की टेस्टिंग पर काम कर रही है जिससे बिल्डर आपसे पावर बैकअप (डीजी) के नाम पर ज्यादा चार्ज नहीं वसूल पाएंगे.

सांकेतिक तस्वीर

गौरव खोसला,नई दिल्ली: हाई-राइज सोसाइटीज में अब बिल्डर पॉवर बैकअप के नाम पर होम बायर्स से मनमाने चार्ज नहीं वसूल पाएंगे. NPCL यानी नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड एक ऐसे मीटर की टेस्टिंग पर काम कर रही है जिससे बिल्डर आपसे पावर बैकअप (डीजी) के नाम पर ज्यादा चार्ज नहीं वसूल पाएंगे. अगर ये टेस्टिंग सफल होती है तो कम खर्च में भी आपको खर्च हुई बिजली का पूरा ब्योरा मिल सकेगा. दरअसल, हाई-राइज सोसाइटीज में डीजी से ज्यादा चार्ज का खेल लंबे समय से चल रहा है. आमतौर पर बिजली कंपनियों  से 6.50-7/ यूनिट का खर्च आता है जबकि पॉवर बैकअप (डीजी) से चलने पर खर्च करीब 15-16/यूनिट आता है और होम बायर्स से करीब 18-22/यूनिट चार्ज किया जाता है. बिल्डर्स की इसी मनमानियों पर लगाम कसने के लिए NPCL नया मीटर लेकर आ रही है. इसकी खासियत ये है कि एक ही मीटर से आप आसानी से रिचार्ज कर पाएंगे जिसमें सप्लाई और डीजी से मिलने वाली बिजली का पूरा ब्योरा आपको आसानी से मिल सकेगा.

NPCL यानी नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड के जीएम एसएन गांगुली ने बताया कि दरअसल पहले डीजी से सप्लाई होने वाली बिजली पर नजर रखने के लिए 2 वायरिंग का प्लान बना था. जिसकी एक वायरिंग से मीटर से सप्लाई की बिजली आएगी तो दूसरी वायरिंग से डीजी की. दोनों में प्रीपेड मीटर लगने थे. लेकिन, यह बेहद महंगा प्लान था और बिल्डर्स ने बायर्स को करीब 50-60 हजार का खर्च बताया था, जिसे ज्यादातर होम बायर्स ने पूरी तरह से नकार दिया था. अब ऐसे मीटर लगाने पर विचार किया जा रहा है जिसमें 2 रिचार्ज और 2 रजिस्टर्ड का रिकॉर्ड रखा जा सकेगा ताकि होम बायर्स को किसी तरह की तकलीफ न हो. यानी साफ है कि सोसाइटीज में ऐसा प्रावधान देने पर काम हो रहा है जिससे बायर्स को ग्रिड सप्लाई और डीजी सप्लाई का पूरा रिकॉर्ड देखने को मिल सके. हालांकि, गांगुली बताते है कि फिलहाल ऐसी टेक्नोलॉजी देश में नहीं है और कई कंपनियां इस पर काम करने को राजी नहीं हो रहे हैं. यही वजह है कि इजराइल से सॉफ्टवेयर लेकर इस पर रिसर्च का काम जारी है. 

टेस्टिंग का काम जारी, 3-4 महीने का लगेगा समय
एसएन गांगुली के मुताबिक, मीटर की टेस्टिंग करने के लिए ग्रेटर नोएडा की एक सोसाइटी में इस पर काम किया जा रहा है जिसमें काफी मुश्किलें भी आ रही हैं. इसके लिए बेसमेंट में बने इंफ्रा को काफी तेजी से बदला जा रहा है. हालांकि, इसका पूरा कंट्रोल NPCL के हाथों में होगा और 24*7 यानी किसी भी समय रिचार्ज करवाया जा सकेगा. अभी जो कॉन्सेप्ट मिला है उस पर काम काफी तेजी से हो रहा है लेकिन कितना समय लगेगा, अभी कहना मुश्किल है. अंदाजे से देखा जाए तो इस काम को पूरा करने के लिए अभी कम से कम 3-4 महीने का समय लगेगा.  

कितना आएगा खर्चा?
नोएडा पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड के जीएम एसएन गांगुली की मानें तो इस पूरे काम पर कितना खर्चा आएगा, कहना मुश्किल है. क्योंकि, अभी मीटर कंपनियों, सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनियों और जहां मीटर लगाना है, वहां कितना इंफ्रास्ट्रक्चर बदलना पड़ेगा और उसकी क्या कीमत होगी यह कहना मुश्किल है. फिलहाल रिसर्च का काम जारी है और टेस्टिंग के बाद ही इसकी लागत पर काम शुरू होगा.  

क्या कहते हैं बायर्स
नोएडा एक्सटेंशन में प्रोजेक्ट लॉ-रेजिडेंशिया के बायर सुमिल जालोटा ने बताया कि ज्यादातर हाई-राइज सोसाइटीज के फ्लैट में प्री-पेड मीटर की सुविधा दी गई है जिसमें ये पता नहीं चलता है कि जो डीजी से बिजली सप्लाई हुई है, उसके कितने यूनिट चले हैं. साथ ही पावर बैकअप (डीजी) का रिकॉर्ड उपभोक्ता के पास नहीं होने पर उसका बिल बढ़ाकर वसूला जाता है जिससे चाह कर भी ग्राहक कुछ नहीं कर पाता. सुमिल का कहना है कि मान लीजिए कि अगर मेन सप्लाई के लिए 2,000/महीना रिचार्ज किया जाता है तो उसका रिकॉर्ड सब-मीटर में देखा जा सकता है, लेकिन अगर डीजी के लिए अलग से 500 का रिचार्ज किया जाता है और उसका रिकॉर्ड भी हो तो होम बायर्स के लिए ये सुविधा होगी कि डीजी के लिए कितनी बिजली का यूज करना है. फिलहाल ये पूरी जानकारी नहीं मिल रही कि डीजी पर कितना खर्च आया है और जो बिल्डर वसूल रहा है और वो कितना सही है. NPCL का ये कदम काफी सराहनीय है और अगर ऐसा होता है तो काफी हद तक बायर्स को राहत मिलेगी. 

ये बात तो साफ है कि ऐसी कई शिकायतें आती हैं जहां पर बिल्डर्स बिजली और मेंटिनेंस को इकट्ठा चार्ज करता है और बेबस बायर्स कुछ नहीं कर पाते. ऐसे में अगर ये टेस्टिंग कामयाब होती है और कम खर्च में समाधान निकलता है तो लाखों होम बायर्स को बिजली के कम पैसे देने पड़ेंगे. 

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