उत्तराखंड में सेब का रिकॉर्ड उत्पादन, लेकिन किसानों को नहीं मिल रही पेटियां
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उत्तराखंड में सेब का रिकॉर्ड उत्पादन, लेकिन किसानों को नहीं मिल रही पेटियां

इस वर्ष प्रदेश में रिकॉर्ड तोड़ सेब का उत्पादन हुआ है. देहरादून जिले के चकराता, कोटी-कनासर सहित कई गांवों में सेब का दोगुना उत्पादन तक हुआ है.

उत्तराखंड में सेब का रिकॉर्ड उत्पादन, लेकिन किसानों को नहीं मिल रही पेटियां

देहरादून: उत्तराखंड में भले ही राज्य सरकार काश्तकारों की आमदनी दोगुनी करने की बात कहती हो लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल जुदा है. करीब 9 सालों के बाद उत्तराखंड में इस वर्ष सेब का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. हालात ये है कि काश्तकारों को अपने बगीचों से सेब तोड़ने के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा दी जाने वाली पेटियों ही नहीं मिल रही हैं तो मजबूरी में काश्तकार हिमाचल सरकार की पेटियों का प्रयोग कर रहे हैं.

वर्ष 2010 के बाद 2019 में हुआ है रिकॉर्ड तोड़ सेब उत्पादन
इस वर्ष प्रदेश में रिकॉर्ड तोड़ सेब का उत्पादन हुआ है. देहरादून जिले के चकराता, कोटी-कनासर सहित कई गांवों में सेब का दोगुना उत्पादन तक हुआ है. कोटी कनासर गांव में सेब उत्पादन कर रहे बलबीर राणा ने कहा कि पिछले वर्ष 180 पेटियां ही हुई थी लेकिन इस बार करीब 400 पेटियां सेब की हो जाएगी. बलबीर ने स्नातक की पढ़ाई के बाद अपने दादा की लगाए सेब के बगीचों की देखभाल शुरु कर दी थी. बलबीर ने कहा कि उद्यान विभाग से ना तो समय पर खाद और दवाईयां मिलती हैं और ना ही पेटियां. इस समय कोटी कनासर और चकराता क्षेत्र में सेब तोड़ना शुरू होचुका है लेकिन काश्तकारों के पास सेब की पेटियां ही नहीं हैं. मजबूरी में हिमाचल एप्पल की पेटियों में पैकिंग करानी पड़ रही है. पूरे कोटी कनासर में मात्र ढ़ाई हजार पेटियां विभाग ने भेजी है, जबकि वहां 2 हजार पेटियां एक ही काश्तकार सेब का उत्पादन कर रहा है. कोटी गांव के पूरचंद राणा के सात स्थानों पर बड़े बगीचे हैं और इस वर्ष लगभग 2 हजार सेब उत्पादन की संभावना है. पूरचन्द्र कहते हैं कि उत्तराखंड सरकार की उनके पास करीब सौ पेटियां ही पहुची है, बाकी हिमाचल एप्पल की पेटियां से सेब को पैक किया जा रहा है.

सेब उत्पादन में उत्तराखंड से बहुत आगे है हिमाचल प्रदेश
उत्तराखंड के देहरादून जिले का चकराता ब्लॉक और उत्तरकाशी जिले में पुरोला और मोरी ब्लाक हिमाचल प्रदेश से लगा हुआ है. हिमाचल में 100 सालों से भी अधिक समय से सेब का उत्पादन किया जा रहा है. सेबों की कई प्रजातियां हिमाचल में उगाई जाती है. वहां के काश्तकार तकनीकी ज्ञान में भी बहुत आगे हैं. बलबीर राणा कहते हैं कि वे हिमाचल से ही सीख कर अपने क्षेत्र में सेब, नाशपाती, आडू, खुमानी जैसी फलों की प्रजातियों को उगा रहे हैं. बलबीर ने कहा कि सेब की पौधे के लिए भी उन्हें हिमाचल जाना पड़ता है. उत्तराखंड की सेब पौधा बहुत अच्छी प्रजाति के नहीं होते.बलबीर ने कहा कि उसने अभी करीब 2 हजार सेब के पेड़ों का बड़ा बगीचा लगाया है और सेब की पौध हिमाचल से मंगवाई है. कोटी के प्रधान मदन सिंह राणा कहते हैं कि हिमाचल से लगा होने के कारण इस पूरे क्षेत्र में सेब उत्पादन में अब तेजी आई है.

सेब उत्तराखंड का ब्रांडिग हिमाचल प्रदेश की
इस वर्ष सेब उत्पादन के लिए जनवरी, फरवरी और मार्च में बहुत अच्छी बर्फबारी हुई थी. प्रदेश के सभी पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फ की सफेद चादर बिछ गई थी और तभी से सेब के काश्तकारों के चेहरे खिल उठे थे. बर्फबारी भी प्रदेश में इस वर्ष रिकॉर्ड तोड़ हुई तो सेब का उत्पादन भी रिकॉर्ड तोड़ होना लाजमी था. लेकिन विभाग को मालूम ही नहीं कि इस बार रिकॉर्ड तोड़ सेब उत्पादन होगा. देहरादून की ही बात कर ले तो चकराता ब्लॉक में इस वर्ष पिछले वर्ष के मुकाबले दोगुना उत्पादन होने की उम्मीद है. मुख्य विकास अधिकारी की मानें तो उद्यान विभाग ने पेटियों के लिए टेंडर कर दिये हैं और जल्द ही काश्तकारों को सेब की पेटियां भेज दी जाएगी. इस साल जो ढ़ाई हजार पेटियां भेजी है वो पिछले वर्ष की बची हुई सेब की पेटियां थीं.

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