IAS, IPS, IFS officer: आईएएस, आईपीएस या आईएफएस ऑफिसर बनना सबसे कठिन नौकरियों में से एक है. यहां जानिए ऐसे सिविल सेवकों के बारे में, जिन्होंने अपनी सर्विस के बाद राजनीति में कदम रखा और सफल भी हुए...
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Civil Servants Who Entered Politics: यूपीएसससी की सिविल सेवा परीक्षा को पास करना आसान बात नहीं है. सिविल सेवा में नौकरी मिलना देश की हाईएस्ट रैंकिंग वाली जॉब में से है. सिविल सेवक एक बेहतर समाज के लगातार विकास के लिए बहुत मेहनत करते हैं. यहां हम आपको कुछ ऐसे आईएएस, आईएफएस और आईपीएस ऑफिसर्स के बारे में बताएंगे, जिन्होंने सिविल सेवकों के रूप में अपनी ड्यूटी पूरी की और फिर राजनीति में कदम रखा. आइए यहां जानते हैं..
यशवंत सिन्हा
यशवंत सिन्हा बिहार के रहने वाले हैं. उन्होंने 1960 में यूपीएससी का एग्जाम क्रैक किया. यशवंत सिन्हा ने लंबे समय तक एक आईएएस ऑफिसर के तौर पर अपनी सर्विस की. इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़कर राजनीति में जाने का फैसला लिया. साल 1984 में अपने पद से इस्तीफा देकर उन्होंने जनता पार्टी को जॉइन किया. इसके बाद वह एक प्रतिष्ठित राजनेता के बनकर उभरे.
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मीरा कुमार
मीरा कुमार देश की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष हैं. बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि वह एक आईएएस अधिकारी भी रह चुकी हैं. उन्होंने एक दशक से ज्यादा समय तक आईएफएस अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दीं. इसके बाद साल 1985 में बिजनोर उपचुनाव में राम विलास पासवान और मायावती को हराकर वह राजनीति में धमाकेदार एंट्री की.
अजीत जोगी
अजीत जोगी ने साल 1968 में यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा पास की और आईएएस के पद पर कार्यभार संभाला. अपने रिटायरमेंट के बाद अजीत जोगी ने कॉन्ग्रेस का हाथ थामा. बाद में उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का पद भी संभाला.
सत्यपाल सिंह
सत्यपाल सिंह महाराष्ट्र कैडर के 1980 बैच के पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं. साल 2014 में उन्होंने मुंबई पुलिस प्रमुख के पद से इस्तीफा दिया था. इसके बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए.
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मणिशंकर अय्यर
मणिशंकर अय्यर साल 1963 बैच के आईएफएस अधिकारी थे. उनका जन्म लाहौर में हुआ था. उन्होंने साल 1991 में तमिलनाडु के मयिलादुतुरई से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. 1982 से 1983 तक भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव रहे. साल 1985 से 1989 तक प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव के रूप में कार्य किया. उन्होंने कुछ समय पाकिस्तान में राजनयिक के रूप में बिताया. साल 1989 में मणिशंकर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.