Digvijay Diwas 2024: 131 साल पहले जब विश्‍व धर्म संसद में बोले स्‍वामी व‍िवेकानंद, लोगों ने खड़े होकर बजाईं ताल‍ियां
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Digvijay Diwas 2024: 131 साल पहले जब विश्‍व धर्म संसद में बोले स्‍वामी व‍िवेकानंद, लोगों ने खड़े होकर बजाईं ताल‍ियां

Digvijay Diwas History and significance : आज ही के द‍िन 131 साल पहले स्‍वामी व‍िवेकानंद ने श‍िकागो में अपने भाषण के जर‍िये दुन‍िया के सामने भारतीय आध्यात्मिकता को पेश क‍िया था. 

Digvijay Diwas 2024: 131 साल पहले जब विश्‍व धर्म संसद में बोले स्‍वामी व‍िवेकानंद, लोगों ने खड़े होकर बजाईं ताल‍ियां

Digvijay Diwas 2024 : भारत हर साल 11 सितंबर को दिग्विजय दिवस (Digvijay Diwas) मनाता है. ये द‍िन स्वामी विवेकानंद के सम्मान में मनाया जाता है. ये द‍िन साल 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में उनके ऐतिहासिक भाषण की याद दिलाता है. 131 साल पहले आज ही के द‍िन स्‍वामी व‍िवेकानंद ने अपने प्रभावशाली भाषण के जरिये भारतीय आध्यात्मिकता और वेदांत के दर्शन को वैश्विक दर्शकों के सामने पेश किया था.

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स्वामी विवेकानंद के भाषण ने भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के बारे में दुनिया की समझ को गहराई से प्रभावित किया. सार्वभौमिक भाईचारे, सहिष्णुता और धार्मिक सद्भाव के उनके संदेश का सम्मान करने के लिए देश हर साल द‍िग्‍व‍िजय द‍िवस (Digvijay Diwas 2024) मनाता है. इस द‍िन पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रम, व्याख्यान और चर्चाएं आयोजित की जाती हैं. शैक्षणिक संस्थान, सांस्कृतिक संगठन और आध्यात्मिक केंद्र अक्सर युवा पीढ़ी को उनकी शिक्षाओं से प्रेरित करने के लिए एक्‍ट‍िव‍िटी आयोजित करते हैं. 

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ताल‍ियों से गूंजा था माहौल 
11 सितंबर, 1893 को जब शिकागो में हो रहे विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद ने भाषण देना शुरू क‍िया, तो लोग उनके पहले वाक्‍य से ही इतने प्रभाव‍ित हो गए क‍ि ताल‍ियां बजाने लगे. दरअसल, उन्‍होंने अपने भाषण की शुरुआत श्रोताओं का अभिवादन "Sisters and Brothers of America" (अमेरिका के बहनों और भाइयों) से क‍िया. ये सुनकर वहां मौजूद, श्रोता  खड़े होकर तालियां बजाने पर मजबूर हो गए. इस घटना ने स्‍वामी व‍िवेकानंद को भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के वैश्विक राजदूत के रूप में स्थापित कर द‍िया.

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ये घटना ऐत‍िहासिक थी. लेक‍िन दिग्विजय दिवस (Digvijay Diwas History) सिर्फ एक ऐतिहासिक घटना का जश्न नहीं है, बल्‍क‍ि उससे कहीं ज्‍यादा है. यह स्वामी विवेकानंद के दृष्‍ट‍िकोण की याद द‍िलाता है. उनका मानना था क‍ि दुन‍िया आपसी समझ और सम्‍मान से एकजुट है. "विविधता में एकता" का उनका संदेश आज भी प्रासंगिक है, जो तेजी से आपस में जुड़ती दुनिया में मतभेदों के बीच सद्भाव को प्रोत्साहित करता है. 

 

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