IFS Pujya Priyadarshini: पूज्या प्रियदर्शनी ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 3 बार असफल होने के बावजूद हार नहीं मानी और उन्होंने अपना प्रयास जारी रखा और अंतत: परीक्षा पास कर ऑल इंडिया 11वीं रैंक हासिल कर डाली. हालांकि, इसके बावजूद उन्होंने IAS का पद नहीं चुना.
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IFS Pujya Priyadarshini UPSC Success Story: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को पास करना हर किसी के बस की बात नहीं है. यह भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. हर साल लाखों उम्मीदवार यह परीक्षा देते हैं, लेकिन एक हजार के आस-पास उम्मीदवार ही ऑफिसर का पद हासिल कर पाते हैं. आपने आज तक कई आईएएस अधिकारियों की सफलता की कहानियां सुनी होंगी. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी ऑफिसर की कहानी बताएंगे, जिन्होंने आईएएस ऑफिसर बनने के लिए लाखों की नौकरी छोड़ दी, लेकिन वह आईएएस नहीं बन पाई. हालांकि, उन्होंने फिर कुछ ऐसा किया कि आज वह विदेश में भारत का नेतृत्व कर रही हैं.
तीन बार रहीं असफल
दरअसल, हम बात कर रहे हैं आईएफएस पूज्या प्रियदर्शिनी की, जो इस कहावत को चरितार्थ करती है कि हर सफलता की कहानी बड़ी असफलताओं में से एक होती है. शुरुआती असफलताओं के बावजूद, पूज्या, जो अंततः एक आईएफएस अधिकारी बन गईं हैं, उन्होंने शुरू में तीन असफल प्रयासों के बाद अपनी UPSC की तैयारी को छोड़ने का फैसला कर लिया था.
परीक्षा से पिछे हटने का लिया फैसला
पूज्य प्रियदर्शिनी ने यूपीएससी परीक्षा में लगातार तीन असफलताओं का सामना करने और उस परीक्षा की तैयारी को छोड़ने पर विचार करने के बावजूद, अपने परिवार के समर्थन से नया दृढ़ संकल्प पाया और फिर ऑल इंडिया 11वीं रैंक हासिल करके साल 2018 की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की.
2 साल नौकरी के बाद पकड़ी UPSC की राह
पूज्या प्रियदर्शिनी ने दिल्ली में बी.कॉम पूरा करने के बाद न्यूयॉर्क के कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है. इसके बाद उन्होंने करीब 2 साल तक एक कंपनी में काम किया, जहां वह अच्छी-खाली सैलरी पा रही थीं. हालांकि, इस बीच उनका मन नौकरी में नहीं लगा और उन्होंने यूपीएससी की और रुख किया.
इंटरव्यू राउंड तक पहुंची पर रह गईं
साल 2013 में पूज्या ने अपना पहला अटेंप्ट दिया, जिसमें उनके हाथ असफलता लगी. इसलिए उन्होंने आगे की तैयारी के लिए तीन साल का गैप लिया. फिल साल 2016 के उन्होंने अपना दूसरा अटेंप्ट दिया, जिसमें वह इंटरव्यू राउंड तक पहुंच गईं, लेकिन वह मेरिट लिस्ट में अपनी जगह नहीं बना पाईं. लेकिन निडर होकर, उन्होंने दृढ़ रहने का संकल्प लिया और साल 2017 में फिर परीक्षा में शामिल हुईं. लेकिन इस बार प्रीलिम्स परीक्षा में मामूली अंतर से फिर असफल रहीं, जिस कारण उन्होंने यूपीएससी की राह छोड़ने का निर्णय ले लिया.
चौथे प्रयास में हासिल की 11वीं रैंक
हालांकि, अपने परिवार के अटूट समर्थन के साथ, पूज्या ने खुद को एक और मौका देने का फैसला किया. इस बार उनका दृढ़ संकल्प रंग लाया और उन्होंने साल 2018 में यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की और ऑल इंडिया 11वीं रैंक प्राप्त की.
उम्मीदवारों को दी सलाह
पूज्या कहती हैं कि यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी में कड़ी मेहनत और धैर्य के महत्व पर जोर दें. वह उम्मीदवारों को सलाह देती हैं कि असफलता से घबराएं नहीं, बल्कि गलतियों से सीखें और बाद में बेहतर तरीके से प्रयास करें. उनकी कहानी इस विश्वास को रेखांकित करती है कि मेहनत के साथ की गई तैयारी और समर्पण अंततः यूपीएससी परीक्षा में सफलता दिला ही देती है.