मां को मजदूरी के लिए लड़ते देखा तब पहली बार सुना 'कलेक्टर' शब्द, तभी से बनना चाहते थे DM, ऐसे क्रैक किया UPSC
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मां को मजदूरी के लिए लड़ते देखा तब पहली बार सुना 'कलेक्टर' शब्द, तभी से बनना चाहते थे DM, ऐसे क्रैक किया UPSC

Success Story: अगर आपके अंदर कुछ बेहतर करने का जज्बा है, तो हालात कितने ही विपरीत क्यों न हो व्यक्ति के हौसले को डिगा नहीं सकते. देश के युवाओं के लिए ऐसी ही एक मिसाल हरियाणा के लाल हेमंत बन गए हैं.

मां को मजदूरी के लिए लड़ते देखा तब पहली बार सुना 'कलेक्टर' शब्द, तभी से बनना चाहते थे DM, ऐसे क्रैक किया UPSC

UPSC Success Story: हेमंत ने देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की हैं. सभी परेशानियों को पार कर अपने दृढ़ संकल्प के दम पर उन्होंने अपनी कहानी खुद लिखी है. हेमंत ने  यूपीएससी परीक्षा 2023 में सेल्फ स्टडी की बदौलत कामयाबी पाई. यहां पढ़िए उनकी सफलता की कहानी....

राजस्थान से है नाता
हेमंत हरियाणा के सिरसा के रहने वाले हैं, लेकिन मूल रूप से उनका नाता राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के बीरेन गांव से हैं. वह बहुत ही साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं. हेमंत के पिता पुजारी हैं और उनकी मां मनरेगा योजना के तहत दिहाड़ी मजदूरी करती हैं.हेमंत की सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने का फैसला भी उनकी मां के काम से जुड़ा हुआ है. 

क्यों आया UPSC क्रैक करने का विचार?
यूपीएससी 2023 की परीक्षा में 884 रैंक हासिल करने वाले हेमंत कभी यह भी नहीं जानते थे कि आखिर कलेक्टर जैसी कोई पोस्ट होती है और वह भी इतनी पावरफुल. सबसे पहली बार उन्होंने कलेक्टर शब्द ही उस समय सुना, जब उनकी मां अपनी मजदूरी के लिए मनरेगा अधिकारी भिड़ी थीं. उसी समय से उनके मन में इस पद के बारे में जानने की उत्सुकता जागी और उन्होंने कलेक्टर बनने की पूरी प्रक्रिया के बार में पता लगाया, जो उन्हें यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा तक ले गया. यहां से हेमंत ने जिला मजिस्ट्रेट बनना की तय किया था. 

दूसरे प्रयास में क्रैक किया UPSC एग्जाम
हेमंत ने अपनी ग्रेजुएसन की पढ़ाई के दौरान की अपनी यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी. पहले अटैम्प्ट में हेमंत ने प्रीलिम्स तो निकाल लिया, लेकिन मेन्स क्वालिफाई नहीं कर पाए, लेकिन हेमंत ने हार नहीं मानी. उनके पास यूपीएससी की कोचिंग जॉइन करने तक के पैसे नहीं थे. अपनी धुन के पक्के हेमंत से 2023 में दूसरी बार यूपीएससी की परीक्षा दी और 884वीं रैंक हासिल की. उन्होंने सेल्फ स्टडी के दम पर सफलता हासिल की. 

हिंदी मीडियम से स्कूली शिक्षा हासिल करने वाले हेमंत को यूपीएससी की तैयारी में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा.  पहले वह डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन में अंग्रेजी में असफल होने के चलते कोर्स कंप्लीट नहीं कर सके. फिर दोस्तों से प्रेरित होकर एग्रीकल्चर यूनीवर्सिटी से ग्रेजुएट किया. 

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