Success Story: 'बालिका वधू' ने 2017 में क्रैक किया NEET UG, 2 बच्चों की हैं मां, अब NEET PG में बैठने के लिए हैं तैयार
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Success Story: 'बालिका वधू' ने 2017 में क्रैक किया NEET UG, 2 बच्चों की हैं मां, अब NEET PG में बैठने के लिए हैं तैयार

NEET PG 2024 रद्द होने से रूपा यादव नाराज नहीं हैं. उन्होंने कहा "यह ठीक है. मुझे तैयारी के लिए ज्यादा टाइम मिलेगा. कम से कम, उन्होंने इसे परीक्षा से पहले रद्द कर दिया है (और आयोजित होने के बाद नहीं), अन्यथा, यह परेशान करने वाला होता."

Success Story: 'बालिका वधू' ने 2017 में क्रैक किया NEET UG, 2 बच्चों की हैं मां, अब NEET PG में बैठने के लिए हैं तैयार

Woman Village Doctor Rupa Yadav: रूपा यादव, राजस्थान के एक छोटे से गांव की एक बालिका वधू, सुर्खियों में तब आईं थीं, जब उन्होंने साल 2017 में NEET UG परीक्षा पास कर ली थी. रूपा अब एक सफल डॉक्टर हैं, दो बच्चों की मां और NEET PG 2024 की तैयारी कर रही हैं. यह सब वह नागौर जिले के खारिया गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मेडिकल ऑफिसर के रूप में तैनात रहते हुए कर रही हैं.

नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (एनबीई) ने पिछले हफ्ते NEET PG 2024 को पोस्टपोन कर दिया था. जल्द ही नई तारीख आने की उम्मीद है. "मैं लगातार एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रही थी. NEET परीक्षा से पहले रात को, मैं अपने 8 महीने के बेटे को दूध पिलाने के लिए 2 बजे उठी और देखा कि मेरे फोन पर न्यूज़ अपडेट आ रहा है. मुझे लगा ये फर्जी खबर है, लेकिन फिर जब सभी ने इसे शेयर करना शुरू किया, तो मुझे एहसास हुआ कि परीक्षा सुबह नहीं हो रही है."

कम से कम उन्होंने परीक्षा आयोजित होने से पहले ही कैंसिल कर दी

रूपा यादव NEET PG 2024 को स्थगित करने से बिल्कुल भी नाराज नहीं हैं. "कोई बात नहीं. मुझे तैयारी करने के लिए और समय मिल जाएगा. कम से कम उन्होंने परीक्षा से पहले इसे कैंसिल कर दिया है (न कि परीक्षा होने के बाद), वरना ये परेशानी वाली बात होती."

रूपा यादव की एक बड़ी बहन है, जो उनकी जेठानी भी हैं. रूपा ने बताया, "जब मैं सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक अपनी डॉक्टरी की जिम्मेदारी संभाल रही होती हूं, तब उनकी बड़ी बहन और बेटी ही रूपा के बच्चों को संभालती हैं. वापस आने के बाद, मैं सब संभाल लेती हूं. मैं अपनी भतीजी को भी पढ़ाती हूं. मैं हमेशा अपनी किताबें अपने वर्कप्लेस पर ले जाती हूं. तो, जब भी मुझे समय मिलता है, दिन में किसी भी समय, मैं NEET PG की तैयारी करती हूं," इस बार वह बेहतर रैंक हासिल करने को लेकर आश्वस्त हैं.

मास्टर ऑफ मल्टिटास्किंग

क्या ये सब उनके लिए बहुत ज्यादा काम नहीं है?  "नहीं. बिल्कुल नहीं. पहले मुझे खेतों में काम करना पड़ता था या रसोई में घंटों बिताने पड़ते थे. मैं मेहनती महिला हूं और अपना समय सही से इस्तेमाल करना सीख रही हूं. असली चुनौती तब होती है, जब रात में मेरा बेटा दो-तीन बार उठता है. तब मेरी नींद पूरी नहीं हो पाती. बाकी सब चीजें तो मैं मैनेज कर लेती हूं."

रूपा असल में कोई और सब्जेक्ट लेकर डॉक्टर बनना चाहती थीं, लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के बाद उन्होंने अब गायनेकोलॉजिस्ट बनने का फैसला किया है. "मेरा पहला बच्चा महामारी (2020) के दौरान पैदा हुआ था, जब मैं बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज में प्री-मेडिकल (चौथे वर्ष) में थी. उससे पहले मुझे अबॉर्शन भी झेलना पड़ा था. तब मुझे समझ आया कि ये एक महिला के स्वास्थ्य को कितना प्रभावित करता है."

कोविड-19 महामारी के दौरान प्रेगनेंट

रूपा बताती हैं कि कोविड-19 महामारी के दौरान, बड़े स्टूडेंट्स मरीजों की देखभाल में बिजी थे जबकि छोटे स्टूडेंट्स (जिनमें रूपा भी थीं) हॉस्टल में रह रहे थे. चूंकि क्लासेज़ ऑफलाइन हो रही थीं, उनके रूममेट्स के अलावा किसी को भी उनकी प्रेग्नेंसी के बारे में नहीं पता था.

8 साल की उम्र में हो गई थी शादी 

रूपा पढ़ाई में तेज थीं, लेकिन सिर्फ आठ साल की उम्र में उनकी शादी शंकरलाल से कर दी गई, जो उनसे चार साल बड़े थे. दसवीं कक्षा में ही उन्हें अपने ससुराल जाना पड़ा,  लेकिन रूपा का पढ़ाई का जुनून तब भी कम नहीं हुआ. उन्होंने दसवीं क्लास में 84 प्रतिशत नंबर हासिल किए. हालांकि उनके परिवार के पास ज्यादा साधन नहीं थे, फिर भी उन्होंने रूपा को आगे पढ़ने की इजाजत दे दी.

रूपा को पढ़ाई के साथ-साथ घर के काम और खेतों में भी मदद करनी पड़ती थी. उनका स्कूल गांव से 6 किलोमीटर दूर जयपुर के पास चोमूं के करेरी गांव में था.  रूपा के मामा की दिल की बीमारी में इलाज की कमी के कारण मौत हो गई थी. इस घटना ने रूपा को डॉक्टर बनने का दृढ़ संकल्प करा दिया. 12वीं क्लास में 84 प्रतिशत नंबर लाने के बाद, उन्होंने पहली बार में NEET UG की परीक्षा दी और 415 नंबर आए, जिससे उनकी रैंक 23,000 आई, लेकिन रूपा राजस्थान छोड़ना नहीं चाहती थीं. इसलिए उन्होंने कोटा में एक साल कोचिंग ली और फिर 2017 में परीक्षा दोबारा दी. इस बार उन्होंने 503 नंबर हासिल किए.

रूपा ने बताया, "हालांकि मुझे फीस माफी मिल गई थी, फिर भी बाकी खर्चों के लिए मेरे पति को काम करना पड़ा." रूपा के पति उनका साथ देने के लिए उनके गांव से दूसरी जगह आ गए हैं और अब उनके घर के पास ही एक दुकान चलाते हैं.

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