OBC Politics: यूपी, बिहार ही नहीं देशभर की राजनीति ओबीसी वोटरों के इर्द-गिर्द घूमती है. हालांकि कांग्रेस ने इसका महत्व देर से समझा. लालू और मुलायम की सफलता के साथ मंडल आयोग की सिफारिशों के समय से ही भाजपा ने समझ लिया था कि इस समुदाय की मदद से ही सत्ता हासिल की जा सकती है. आज हर पार्टी इस समुदाय को लुभाने में जुटी है.
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Congress Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही ओबीसी वोटरों के इर्द-गिर्द पटकथा लिखी जा चुकी थी. यात्रा लेकर निकले राहुल गांधी सत्ता में सबकी हिस्सेदारी की बातें करते रहे. राहुल बार-बार जातीय जनगणना का मुद्दा उठा रहे हैं. उनका कहना है कि केंद्र सरकार में 90 सचिव स्तर के अधिकारी हैं जिसमें सिर्फ 3 ओबीसी हैं. गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया कि भाजपा का शासन आने के बाद ओबीसी समाज के सम्मान का नया सिलसिला शुरू हुआ. उन्होंने कहा कि बीजेपी के सांसदों में 29 प्रतिशत यानी 85 सांसद और 29 मंत्री ओबीसी श्रेणी के हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव में वोट डालने जा रहे आम मतदाता के मन में सवाल जरूर आएगा कि ओबीसी समुदाय कितना प्रभावशाली है?
ओबीसी वोटबैंक
एक्सपर्ट का मानना है कि जनसंख्या के लिहाज से सबसे ज्यादा 50 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग से ही हैं. यूपी में मुलायम सिंह यादव, बिहार में लालू प्रसाद यादव और नीतीश यादव की राजनीति इसी समुदाय ने चमकाई और ये सभी सीएम की कुर्सी तक पहुंचे. केंद्र में भाजपा की सरकार बनाने में भी ओबीसी की अहम भूमिका रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2009 में भाजपा को 22 प्रतिशत ओबीसी वोट मिले थे. 2014 में यह 41 प्रतिशत और पिछले यानी 2019 के लोकसभा चुनाव में यह 48 प्रतिशत पहुंच गया.
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हालांकि भारतीय राजनीति में बड़ा उलटफेर तब हुआ था जब 90 के दशक में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू कर दिया. वैसे मंडल आयोग (बैकवर्ड क्लास कमीशन) ने 1980 में ही रिपोर्ट सौंप दी थी. इसमें ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की गई थी. यह लागू हुआ तो आरक्षण के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन हुए थे.
भाजपा का फोकस
सीएसडीएस के सर्वे की मानें तो पिछड़ी जातियों ने पिछले चुनावों में बड़ी संख्या में भाजपा को वोट किया है. वैसे, केंद्र की ओबीसी लिस्ट में 2,479 जातियां हैं लेकिन ओबीसी वर्ग में किस जाति पर ज्यादा फोकस करना है और किस पर कम, इस चुनावी गणित पर भाजपा कई दशकों से काम कर रही है. हाल के अपने भाषणों में पीएम स्कीम के हवाले समुदाय की अलग-अलग जातियों का जिक्र करते रहे है. पिछले साल कामगारों के लिए आई पीएम विश्वकर्मा योजना का भी जाति फैक्टर महत्वपूर्ण है. भाजपा ने पार्टी और संगठन में ओबीसी चेहरों को महत्वपूर्ण जगह दी है. बीजेपी का ओबीसी मोर्चा लगातार 90 प्रतिशत से ज्यादा जिलों में एक्टिव है और समुदाय से जुड़ने की कोशिश कर रहा है.
पीएम खुद ओबीसी
भाजपा ओबीसी वोटबैंक को कितना महत्व दे रही, यह पीएम मोदी की एक बात से ही समझा जा सकता है. विपक्ष के शोर को शांत करने के लिए उन्होंने संसद में कह दिया कि इन लोगों को इतना बड़ा ओबीसी नहीं दिखाई देता. उस समय पीएम अपनी तरफ इशारा कर रहे थे.
अब राहुल बोल रहे
कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि राहुल गांधी ओबीसी के महत्व को समझ तो रहे हैं लेकिन उसे ठीक तरह से पेश नहीं कर पा रहे हैं. अब सामाजिक न्याय के मुद्दे को उछाल रही कांग्रेस ओबीसी के बड़े वोटबैंक को टारगेट कर रही है लेकिन उसका मुकाबला भाजपा से है. भगवा दल काफी पहले इस बात को समझ चुका है. हाल में कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न, एमपी में मोहन यादव को कमान देने के बाद हरियाणा में ओबीसी समुदाय के नायब सिंह सैनी को सत्ता देकर भाजपा ने अपने वोटबैंक को फिर साधा है.
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उधर, राहुल गांधी से पहले इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ओबीसी समुदाय को साधने में कई बार चूके जबकि लालू - मुलायम जैसे क्षत्रपों ने आज से 40 साल पहले ही अनुमान लगा लिया था कि ये सबसे बड़ी ताकत बनने वाले हैं. कांग्रेस ने आजादी के बाद ही इस दिशा में ध्यान दिया होता तो नजारा अलग होता. हालांकि तब केवल एससी और एसटी आरक्षण की बात की गई थी.
1. अच्छा होता कांग्रेस अन्य जातियों के लिए बने काका कालेलकर आयोग की 1955 वाली रिपोर्ट ठंडे बस्ते में न डालती. जी हां, 1950 और 1970 के दशक में काका कालेलकर और बीपी मंडल की अध्यक्षता में दो पिछड़ा वर्ग आयोग बने थे. काका कालेलकर आयोग को प्रथम पिछड़ा वर्ग आयोग के रूप में भी जाना जाता है.
2. दूसरी गलती 1980 में मंडल आयोग की रिपोर्ट आने के बाद हुई. इंदिरा और राजीव गांधी ने उसे जरूरी नहीं समझा, 1990 में वीपी सिंह ने दांव चल दिया, उस समय राजीव गांधी ने इसका विरोध किया था.
कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में पार्टी के घोषणापत्र पर बातचीत हुई।
कांग्रेस का घोषणापत्र 1926 से ही देश के राजनीतिक इतिहास में “विश्वास और प्रतिबद्धता का दस्तावेज” माना जाता है।
'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' के दौरान हमने न्याय के 5 स्तंभों की बात की है, जिनकी स्थापना… pic.twitter.com/otcyZpxACP
— Congress (@INCIndia) March 19, 2024