Lok Sabha Chunav: भाजपा अक्सर कांग्रेस को एक परिवार की पार्टी कहते हुए राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर हमला करती है. अगर पार्टी का प्रदर्शन गिरा तो गांधी परिवार पर भी सवाल उठेंगे. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी के सामने कांग्रेस कहां पिछड़ रही है और विपक्षी दलों के बीच ग्रैंड ओल्ड पार्टी की पोजीशन क्या है?
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Congress Rahul Gandhi News: लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग तीन हफ्ते बाद शुरू होने वाली है. बीजेपी का चुनावी शोर सुनकर इस बात का विश्लेषण किया जा रहा है कि क्या सच में भाजपा 400 से ज्यादा सीटें ला पाएगी? क्या मोदी सरकार लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल कर सकती है? या फिर कांग्रेस के नेतृत्व में खड़ा हुआ INDIA गठबंधन मोदी लहर को धड़ाम कर देगा? ऐसे में सबसे सरल तरीका है तराजू के दोनों पलड़ों का आकलन किया जाए. किस तरफ क्या है और क्या नहीं है? लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ताकत और कमजोरियां क्या हैं?
भाजपा की ताकत
- 10 साल प्रधानमंत्री रहने के बाद भी नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता आसमान पर है. उनकी अप्रूवल रेटिंग दुनिया के नेताओं में टॉप पर है.
- पीएम बीजेपी और एनडीए गठबंधन के लिए सबसे बड़ा चेहरा हैं जिसे देखकर लोग वोट करते हैं.
- पीएम अपनी पार्टी के कैंपेनर-इन-चीफ हैं जो पार्टी कार्यकर्ताओं और वोटरों को नए नारों और विचारों से हर चुनाव में प्रोत्साहित करते हैं.
1984 से भाजपा और कांग्रेस की लोकसभा सीटों का ग्राफ देखें तो 400 से गिरते हुए कांग्रेस पिछली बार 52 पर आ गई और 2 सीटें जीतने वाली भाजपा अब 303 के आंकड़े तक पहुंच गई है. आखिर भाजपा को चुनौती देने में कांग्रेस कहां पिछड़ रही है?
मैसेज और मैसेंजर
पीएम मोदी लोकसभा चुनाव का प्रबंधन राष्ट्रपति चुनाव जैसा करने में सफल रहे हैं. 'अच्छे दिन आने वाले हैं' से अब 'पीएम मोदी की गारंटी' नारा पहुंच चुका है. यह चुनाव जीतने का पीएम का आत्मविश्वास दिखाता है. इस तरह से देखिए तो पीएम भाजपा और एनडीए के लिए मैसेज भी हैं और मैसेंजर भी.
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आज पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति ऐसी है कि कोई भी पार्टी भाजपा की तरह चुनाव नहीं लड़ पा रही है. निकाय से लेकर लोकसभा तक भाजपा हर चुनाव पूरी गंभीरता और ताकत से लड़ती है. 'पन्ना प्रमुख' और 'मेरा बूथ सबसे मजबूत' जैसे नए कॉन्सेप्ट से बीजेपी ने भारत में चुनावी राजनीति को नई दिशा दी है.
भाजपा के लिए चुनाव लड़ना एक तरह की प्रक्रिया है. वह राम मंदिर ही नहीं हर मंदिर के जीर्णोद्धार को सांस्कृतिक पुनरुत्थान से कनेक्ट करती है. आर्टिकल 370 को समाप्त करना हो या सीएए लागू करना, भाजपा अपने वैचारिक एजेंडे के तहत काम कर रही है. सरकारी योजनाओं के लाभार्थी भाजपा के माहौल को और बढ़ाते हैं.
भाजपा की कमजोरी
- आज के समय में भाजपा ने कांग्रेस को हटाकर खुद को भारतीय राजनीति का केंद्र बिंदु बना लिया है. हालांकि नॉर्थ जैसी सफलता साउथ में नहीं है. हाल में उसके हाथ से कर्नाटक भी चला गया. असल में अखिल भारतीय पार्टी बनने के लिए भाजपा को नए आइडियाज की जरूरत है.
- गुजरात, एमपी, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, बिहार और कर्नाटक जैसे राज्यों में भाजपा ने 2019 के चुनाव में एकतरफा जीत हासिल की थी. ऐसे में इस बार इससे बेहतर होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है. कुछ हद तक हिंदीभाषी राज्यों की स्थिति यही है.
अब बात कांग्रेस की
कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष अजीब सी उधेड़बुन में दिख रहा है. पीएम मोदी और भाजपा को चुनौती देने के लिए INDIA गठबंधन के पास न कोई मैसेज है और न मैसेंजर. कांग्रेस के लिए एक संकट के बाद दूसरा संकट आकर खड़ा हो जाता है. वे भाजपा के 'अबकी बार, 400 पार' के दावे को चुनौती नहीं दे पा रहे हैं. अगर ओपिनियन पोल के हिसाब से नतीजे आए तो ग्रैंड ओल्ड पार्टी लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव में पिछड़ सकती है. ऐसे में सवाल उठते हैं कि क्या 2019 की तुलना में इस बार प्रदर्शन सुधरेगा? भाजपा 370 के पार की बात कर रही है तो क्या कांग्रेस 100 के पार जा सकती है?
कांग्रेस की ताकत
- आज के समय में भी कांग्रेस ही असल मायने में अखिल भारतीय पार्टी है. चौतरफा निराशा और निगेटिव खबरों के बावजूद, पार्टी की तीन राज्यों में सरकारें हैं. कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस का जलवा बरकरार है.
- 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 19 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे. यह अकेली विपक्षी पार्टी थी जिसे डबल डिजिट में वोट मिले थे. ऐसे में पिछड़ने के बाद भी कांग्रेस दूसरे विपक्षी दलों से आगे है.
राहुल फैक्टर
- पहले भारत जोड़ो यात्रा, फिर भारत जोड़ो न्याय यात्रा... लोग कह रहे हैं कि इंडियन पॉलिटकल लीग में पार्टी अब गंभीरता दिखा रही है. हालांकि राहुल गांधी की इन यात्राओं का चुनाव में कितना असर दिखेगा, यह कहा नहीं जा सकता है.
- पिछले डेढ़ साल से राहुल लगातार घूमते रहे हैं. रोडशो किया, ट्रक में घूमे, लोगों से मिले, बातें की. इससे उनकी इमेज भी सुधरी है.
भाजपा के बाद कांग्रेस ही एक बड़ी पार्टी है जो विचारधारा की बातें करती है. भले ही सेक्युलरिज्म और सोशलिज्म चुनाव न जिताए लेकिन अवसरवादिता से यह बेहतर हैं.
कांग्रेस की कमजोरी
1. कांग्रेस पार्टी पिछले 10 साल से वही 'RaGa' ट्यून प्ले कर रही है. राहुल गांधी बीजेपी-आरएसएस को खतरा बताते रहे हैं लेकिन अब उन्हें और उनकी पार्टी को नए नारों की जरूरत है जिससे पीएम मोदी और भाजपा को चुनौती दी जा सके.
2. ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर मिलिंद देवड़ा तक राहुल गांधी के कई पुराने साथी एक-एक कर 10 साल में बिछड़ गए. आज के कई मुख्यमंत्री पहले कांग्रेसी हुआ करते थे. कांग्रेस छोड़कर पहले भी नेता गए हैं लेकिन राहुल की लीडरशिप में यह ज्यादा हुआ.
3. कांग्रेस 10 साल में नेताओं की नई पीढ़ी खड़ी करने में फेल रही है. आज वह पूरी तरह गांधी परिवार पर निर्भर है. मल्लिकार्जुन खरगे पार्टी के अध्यक्ष हैं लेकिन सारे बड़े फैसले गांधी परिवार की सहमति से लिए जाते हैं. यह पार्टी में लीडरशिप की ऑर्गेनिक ग्रोथ को रोक रही है.
कांग्रेस के पास मौका
1. अगर 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी अपनी सीटें और वोट शेयर बढ़ाने में सफल रहती है तो वह भाजपा के खिलाफ सबसे मजबूत विपक्षी दल के रूप में खुद को पेश कर सकती है. ऐसे में राज्य के चुनावों में मुस्लिम और दूसरे विपक्षी दलों के वोट खींचने में आसानी होगी.
2. जब भी एक पार्टी का दबदबा बढ़ता है जैसे पहले कांग्रेस और आज के समय में बीजेपी का है तो यूनाइटेड विपक्ष की बात होती है. हालांकि कांग्रेस के बगैर विपक्षी एकजुटता केवल क्षेत्रीय दलों का गठजोड़ बनकर रह जाएगा.
ऐसे में कांग्रेस ही अकेली ऐसी पार्टी है तो 52 से आगे बढ़कर 100 से ज्यादा लोकसभा सीटें जीत सकती है.
एक खतरा भी है
- अगर कांग्रेस पार्टी का नंबर 52 से नीचे जाता है तो उसके अस्तित्व पर संकट पैदा हो जाएगा. इसे भाजपा कांग्रेस-मुक्त भारत का सच होना बता सकती है.
- गांधी परिवार अपना गढ़ हार गया. राहुल ने अमेठी छोड़ा और सोनिया उच्च सदन चली गईं. आगे सवाल खड़े हो सकते हैं कि अगर गांधी परिवार अपनी सीटें नहीं जीत सकता तो वह पार्टी को कैसे लीड कर सकता है?
भाजपा की कैंडिडेट लिस्ट दिखाती है कि भगवा दिल कितना कॉन्फिडेंट है. वह नए चेहरों को लाकर एक्सपेरिमेंट करने के लिए तैयार है. राज्यसभा सांसदों को भी लोकसभा चुनाव लड़ाया जा रहा है. सोचना कांग्रेस को है.