बिल्डर विक्रम त्यागी 32 दिन से लापता, अनशन पर बैठा परिवार; UP पुलिस खोजने में नाकाम
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बिल्डर विक्रम त्यागी 32 दिन से लापता, अनशन पर बैठा परिवार; UP पुलिस खोजने में नाकाम

लावारिस हालत में बरामद हुई कार से मिले खून का डीएनए विक्रम के परिवार से मैच कर गया है, जिससे ये तो साफ हो गया कि कार में पड़ा खून उसी का था.

गाजियाबाद में लापता बिल्डर विक्रम का परिवार अनशन कर रहा है.

गाजियाबाद: दिल्ली से सटे गाजियाबाद से लापता हुए बिल्डर विक्रम त्यागी का पिछले महीने 26 जून से लेकर अब तक यूपी पुलिस कोई सुराग नहीं लगा पाई है. पीड़ित परिवार राजनगर एक्सटेंशन में सोसायटी के बाहर लगातार अनशन पर बैठा हुआ है. यूपी पुलिस की इस मामले में पूरी तरह से लापरवाही सामने आई है. शुरुआत में ही विक्रम की गाड़ी मुजफ्फरनगर में मिल गई थी. गाड़ी मिलने से कुछ घंटे पहले गाड़ी को खतौली चेक पोस्ट पर देखा गया था.

माना जा रहा है कि उस गाड़ी को बदमाश चला रहे थे लेकिन फिर भी पुलिस उन्हें पकड़ने में नाकाम साबित हुई. बदमाशों ने चेक पोस्ट पर खुद को दिल्ली पुलिस से बताया और आसानी से पुलिस को झांसा देकर निकल गए. परिवार अनहोनी की आशंका जाहिर कर रहा है. अब तक सुराग नहीं मिल पाने से बिल्डर का परिवार काफी ज्यादा दहशत में है. बिल्डर एसोसिएशन ने भी इस धरने में साथ दिया है, अब तक फिरौती का भी कोई फोन कॉल नहीं आया है.

यूपी पुलिस की नाकामी बताने वाली ये घटना गाजियाबाद के सिहानी गेट थाना क्षेत्र के राजनगर एक्सटेंशन इलाके की है. जहां 36 वर्षीय बिल्डर अपनी इनोवा कार सहित रहस्यमय तरीके से लापता हो गया. लापता विक्रम पिछले महीने 26 जून की शाम अपने दफ्तर से घर लौट रहा था और उसकी सोसायटी से महज 5 मिनट की दूरी पर एक दूसरी सोसायटी के सीसीटीवी कैमरे में उसकी कार नजर आई थी. लेकिन उसके बाद से उसका कोई पता नहीं चल पाया.

घटना के अगले दिन लापता बिल्डर की कार मुजफ्फरनगर के तितावी से लावारिस हालात में खड़ी मिली थी. विक्रम के चाचा के अनुसार मुजफ्फरनगर के खतौली चेक पोस्ट पर रात के समय विक्रम की कार को पुलिस ने रोकने की कोशिश की थी, उसकी कार को दो अज्ञात बदमाश चला रहे थे. रोकने पर उन्होंने खुद को दिल्ली पुलिस से बताया. लेकिन कार में खून पड़ा देख जब कार को चेकिंग में लगे सिपाही ने रोकने का प्रयास किया तो कार सवार बदमाशों ने कार दौड़ा दी. वहां चेक पोस्ट पर एक इंस्पेक्टर और सीओ भी मौजूद थे.

इंस्पेक्टर ने विक्रम की फैमिली को बताया कि उसने भी बदमाशों का पीछा करके कार रोकने का प्रयास किया था लेकिन उसकी सरकारी गाड़ी पुरानी थी जो विक्रम की इनोवा कार का पीछा नहीं कर पाई और इंस्पेक्टर वापिस चेकपोस्ट पर लौट आया. हालांकि आगे वायरलेस करके विक्रम की कार को रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया गया और कार की घेराबंदी की गई, इसका जबाब यूपी पुलिस के पास नहीं है.

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गौरतलब है कि लावारिस हालत में बरामद हुई कार से मिले खून का डीएनए विक्रम के परिवार से मैच कर गया है, जिससे ये तो साफ हो गया कि कार में पड़ा खून उसी का था. लेकिन वो खुद कहां गायब है ये जानकारी पुलिस घटना के 32 दिन बाद भी नहीं पता कर सकी है. विक्रम का परिवार इसे बड़ी लापरवाही मान रहा है.

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इलाके के आला पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से बिल्डर का परिवार गुहार लगा चुका है लेकिन लापता विक्रम का कोई सुराग तक नहीं मिला है. पुलिस की नाकामी इतनी है कि गाजियाबाद से 150 किलोमीटर दूर मुजफ्फर नगर में विक्रम की कार लावारिस हालत में खड़ी मिली लेकिन किस रास्ते से ये कार मुजफ्फरनगर तक पहुंची, पुलिस ये तक नहीं पता लगा पाई है. विक्रम का परिवार बेहद परेशान है, पुलिस और यूपी सरकार के खिलाफ धरने पर बैठा है और नारेबाजी कर रहा है.

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