"पैरेंट्स को सकारात्मक रहना चाहिए. बच्चों का साथ दें, पढ़ाई में उनकी मदद करें, रोक-टोक नहीं करनी चाहिए. ध्यान रखें कि बच्चा परेशान न हो."
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नई दिल्लीः अधिकतर पैरेंट्स सोचते हैं कि बच्चा अगर पढ़ाई को लेकर तनाव नहीं ले रहा है तो इसका मतलब है कि वह एग्जाम्स को सीरियस नहीं ले रहा, लेकिन इसके उलट डॉ. पारेख कहते हैं, "हंसते-खेलते पढ़ाई करें और हंसते-खेलते एग्जाम दें, क्योंकि जब हम तनाव कम रखते हैं, तो मार्क्स ज्यादा आते हैं. पढ़ाई के दिनों में खेल-खेलने से भी अच्छे मार्क्स आते हैं, क्योंकि आप रिलेक्स होते हैं. इस तरह की चीजों को बच्चों को महत्व देना चाहिए." उन्होंने आगे कहा, "जीवनशैली अच्छी करें, आउटडोर एक्टीविटी करें, दूसरों से तुलना न करें, सेल्फ टेस्ट लेने से मानसिक तनाव दूर होता है. तनाव महसूस कर रहे हैं तो पैरेंट्स से बात करें, रिलेक्स रहें." परीक्षा के दौरान माता-पिता की भूमिका के बारे में डॉ. समीर ने कहा, "पैरेंट्स को सकारात्मक रहना चाहिए. बच्चों का साथ दें, पढ़ाई में उनकी मदद करें, रोक-टोक नहीं करनी चाहिए. ध्यान रखें कि बच्चा परेशान न हो. अगर तनाव में है तो तनाव कम करने में मदद करें, आत्मविश्वास दिलाएं."
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा डेटशीट जारी कर दी है. जिसके चलते छात्रों के दिल की धड़कनें भी तेज हो गई हैं और वे तनाव में हैं. उनकी तनाव की वजह परीक्षा का थोड़ा पहले होना भी है, लेकिन विशेषज्ञ बच्चों को तनावमुक्त होकर हंसते-खेलते पढ़ाई करने का सुझाव दे रहे हैं. उल्लेखनीय है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के कारण इस बार परीक्षा थोड़ा पहले हो रही है. सीबीएसई की तरफ से 23 दिसंबर को जारी डेटशीट के अनुसार, 12वीं की परीक्षा 15 फरवरी से शुरू होकर तीन अप्रैल तक चलेगी. वहीं 10वीं की परीक्षा 21 फरवरी से लेकर 29 मार्च तक होगी. 12वीं की परीक्षा के लिए 13 लाख विद्यार्थियों ने नामांकन किया है. विद्यार्थियों का कहना है कि महत्वपूर्ण विषयों के प्रश्नपत्र लगातार होने से उसकी तैयारी के लिए समय नहीं मिल रहा है.
ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन ने परीक्षा तिथियों में बदलाव की मांग उठाई है. एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने पिछले दिनों सीबीएसई से आग्रह किया था कि वह तिथियों के मामले में विद्यार्थियों की समस्या का संज्ञान ले. हालांकि मनोविज्ञानी डॉ. समीर पारेख परीक्षा तिथियों के थोड़ा आगे-पीछे होने को महत्व नहीं देते. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि बोर्ड एग्जाम कब हो रहे हैं, इस बात को महत्व नहीं देना चाहिए, क्योंकि एग्जाम हर साल आते हैं. 10 दिन पहले आएं, 10 दिन बाद आएं, इससे फर्क नहीं पड़ता है. बच्चों को डेट्स के बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए."