मनोज बाजपेयी ने कहा- 'अलीगढ़' का समलैंगिक प्रोफेसर आज होता तो उसे मरना नहीं पड़ता'
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मनोज बाजपेयी ने कहा- 'अलीगढ़' का समलैंगिक प्रोफेसर आज होता तो उसे मरना नहीं पड़ता'

मनोज बाजपेयी ने कहा, "कमजोर लोगों की मदद के लिए हम सबको सरकार और कानून की जरूरत है. 'अलीगढ़' का प्रोफेसर अगर आज होता तो उसे मरना नहीं पड़ता."

 मनोज बाजपेयी ने कहा- 'अलीगढ़' का समलैंगिक प्रोफेसर आज होता तो उसे मरना नहीं पड़ता'

नई दिल्‍ली: भारतीय दंड संहिता के 'अनुच्छेद 377' को निरस्त कर दिया गया है. फिल्म 'अलीगढ़' में मुख्य भूमिका निभा चुके अभिनेता मनोज बाजपेयी समलैंगिकता को अपराध मानने वाले कठोर कानून को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खत्म किए जाने से खुश हैं. मनोज ने कहा, "मैंने 'अलीगढ़' में जब समलैंगिक प्रवक्ता रामचंद्र सिरास का किरदार निभाया, तब मैंने जाना कि अकेलापन क्या होता है. मेरे लिए व्यक्ति का अकेलापन उसकी यौन उन्मुक्तता से ज्यादा मायने रखता है. मुझे लगता है कि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला देशभर के ऐसे सताए गए और भेदभाव से पीड़ित लोगों की जीत है." उन्होंने कहा, "कमजोर लोगों की मदद के लिए हम सबको सरकार और कानून की जरूरत है. 'अलीगढ़' का प्रोफेसर अगर आज होता तो उसे मरना नहीं पड़ता."


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