लगातार सौ करोड़ कमाने वाली फिल्में देकर भी खुश नहीं हैं रणवीर सिंह! बोले...
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लगातार सौ करोड़ कमाने वाली फिल्में देकर भी खुश नहीं हैं रणवीर सिंह! बोले...

पिछले साल रणवीर ने 'पद्मावत' में अलाउद्दीन खिलजी की भूमिका के लिए तालियां बटोरी थीं. फिलहाल वह 'सिम्बा' की सफलता का आनंद ले रहे हैं.

फोटो साभार:  ट्विटर@taranadarsh

नई दिल्ली: सिनेमा जगत में काम करने वाला हर इंसान अपने करियर में कम से कम एक 100 करोड़ क्लब में जाने वाली फिल्म का सपना देखता है. लेकिन एक ही साल में ''पद्मावत'' और ''सिंबा'' जैसी दो धमाकेदार फिल्म देने के बाद भी रणवीर सिंह खुद से खुश नहीं हैं. आखिर क्या वजह है कि रणवीर सिंह को ''सिंबा'' का ब्लॉक बस्टर कलेक्शन भी खुश नहीं कर पाया! हाल ही में एक इंटरव्यू में रणवीर ने कुछ ऐसी ही बात कही.

अभिनेता रणवीर सिंह ने कहा कि वह अपनी प्रत्येक फिल्म के साथ कुछ नया तलाशना और एक कलाकार के रूप में विकसित होते रहना चाहते हैं. रणवीर ने एक बयान में कहा, "बतौर कलाकार मैं हमेशा से दर्शकों का मनोरंजन करना चाहता हूं और साथ ही हर फिल्म के साथ उन्हें कुछ नया भी देना चाहता हूं. एक अभिनेता के रूप में खुद को विकसित और आगे बढ़ाने का निरंतर प्रयास करना चाहता हूं."

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पिछले साल रणवीर ने 'पद्मावत' में अलाउद्दीन खिलजी की भूमिका के लिए तालियां बटोरी थीं. फिलहाल वह 'सिम्बा' की सफलता का आनंद ले रहे हैं. सिंबा के बारे में बात करते हुए रणवीर ने कहा, "मैंने इस तरह की मसाला एंटरटेनर कभी नहीं की थी. एक ऐसी फिल्म जो मैं हमेशा से करना चाहता था. मेरे प्रदर्शन और फिल्म को प्यार देने के लिए मैं दर्शकों का बहुत आभारी हूं. यह उत्साहित और विनम्र करने वाला अनुभव है. बीता साल मेरे लिए अविश्वसनीय वर्ष रहा है और 'सिम्बा' की सफलता के साथ यह साल खत्म हुआ है जो शानदार है." 

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कहना गलत नहीं होगा कि रणवीर सिंह के लिये 2018 व्यक्तिगत और पेशवर दोनों रूप में बेहद खास रहा है लेकिन अभिनेता का कहना है कि वह खुद को मिली सफलता से अभिभूत हुए बिना सभी का आशीर्वाद लेकर अपने रास्ते तलाश कर रहे हैं. तेजतर्रार व्यक्तित्व वाले अभिनेता अपनी सह अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के साथ शादी और 'पद्मावत' और 'सिंबा" की कामयाबी के लिये पूरे साल सुर्खियों में रहे. 

हालांकि रणवीर इस बात से वाकिफ हैं कि यह किस तरह एक व्यक्ति के दृष्टिकोण को प्रभावित कर सकता है. रणवीर ने कहा, "जब आपके आसपास ऐसा होता है तो दो संभावनाएं होती हैं. या तो आप इसे मान लेते हैं या फिर इससे सजग हो जाते हैं. जब मैं इससे सजग होता हूं तो अपने प्रचार में यकीन नहीं करता. मेरे अनुभव मुझे एक दयालु व्यक्ति बनाए रखते हैं." अभिनेता का कहना है कि वह अपने संघर्ष के दिनों को याद रखते हुए खुद को जमीन से जोड़े रखते हैं.

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रणवीर ने बताया, मैंने साढ़े तीन साल तक संघर्ष किया, तभी आज मुझे यह मौके मिले हैं, मैं उनकी कीमत समझता हूं. मैं अपना रास्ता कभी नहीं भटका क्योंकि मुझे अभी भी वह वक्त याद है जब मेरे पास यह सब नहीं था." 

रणवीर ने कहा, "मैंने बीच का रास्ता चुना है. न तो अपनी कामयाबी में बहुत ज्यादा खो जाना अच्छा है और न ही नाकामियों में मायूस होना. जब मुझे कामयाबी मिलती है तो खुशी होती है. आपको ऐसा जरूर करना चाहिए. लेकिन फिर फौरन अपने मौजूदा समय में खुद को ढाल लेना चाहिए." 

इनपुट एजेंसीज से भी

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