Sushant Singh Rajput Death Anniversary: सुशांत सिंह राजपूत के फैन्स को आज उनकी कमी खूब महसूस हो रही है. टीवी से फिल्मों की दुनिया में आए इस युवा एक्टर ने बहुत तेजी से अपनी पहचान बनाई थी. इस साल उन्हें फिल्मों में एक दशक पूरा हो जाता है. लेकिन कम समय में ही सुशांत ने कुछ शानदार फिल्में की. उनके कुछ डालयॉग लोगों को हमेशा याद रहेंगे...
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Sushant Singh Rajput Dialouges: सुशांत सिंह राजपूत जिंदा होते तो इस साल उनका फिल्मी करियर दस बरस का हो गया होता. 2013 में उनकी पहली फिल्म काय पो चे आई थी. फिर उसी साल शुद्ध देसी रोमांस आई. अपनी छोटी-सी फिल्मी पारी में सुशांत ने कुछ यादगार फिल्में दीं, जिनमें एम.एस.धोनीः द अनटोल्ड स्टोरी, केदारनाथ, सोनचिरैया और छिछोरे जैसी फिल्में शामिल हैं. उनके निधन के बाद ओटीटी पर रिलीज हुई दिल बेचारा ने कई रिकॉर्ड बनाए थे. टीवी से फिल्मों में आने वाले सुशांत ने अपनी ऐक्टिंग के लाखों-करोड़ों फैन्स बनाए और उनके द्वारा पर्दे पर बोले गए संवाद आज भी इन फैन्स के दिलों में खास जगह रखते हैं. एक नजर कुछ ऐसे ही डायलॉग्स पर...
सुशांत के संवाद
-जो सिर्फ एक पल होता है, उसे छोड़कर कुछ नहीं होता है. (काय पो चे, 2013)
-पाने की कैपेसिटी, जीने की स्ट्रेंथ, अकाउंट का बैलेंस और नाम का खौफ... कभी भी कम नहीं होना चाहिए. (शुद्ध देसी रोमांस, 2013)
-मुझे फिर कभी गलत मत समझना. शायद मैं सिर्फ तुमसे ज्यादा सोचता हूं. (पीके, 2014)
-खुद से ज्यादा कभी किसी को ना चाहा, खुद से ज्यादा कभी किसी पर यकीन ना किया. (डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी, 2015)
-एक कैप्टन तभी अच्छा कैप्टन हो सकता है, जब उसकी टीम अच्छी होगी. (एम.एस.धोनीः द अनटोल्ड स्टोरी, 2016)
-अगर रोजे नहीं रखे... तो फिर ईद का क्या मजा. (राब्ता, 2017)
-आपने इतने टाइम तक कहा था कि दुनिया में सब भगवान हैं, तो मैं भी सोच रहा था कि आप भगवान हैं. लेकिन आज देख रहा हूं कि आप भी सिर्फ एक इंसान हैं. (राब्ता, 2017)
-मोहब्बत एक एहसासों की पावन-सी कहानी है. कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है. (केदारनाथ, 2018)
-तुम्हारा रिजल्ट तय नहीं करता है कि तुम हारे हुए हो की नहीं... तुम्हारी कोशिश तय करती है. (छिछोरे, 2019)
-सक्सेस के बाद का प्लान सबके पास है, लेकिन अगर गलती से फेल हो गए तो फेलुअर से कैसे डील करना है, ये कोई नहीं जानता. (छिछोरे, 2019)
-राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा. राजा वही बनेगा, जो हकदार होगा. (सोनचिरैया, 2019)
-जनम कब लेना है और मरना कब है, हम तय नहीं कर सकते... पर कैसे जीना है, वह हम तय कर सकते है. (दिल बेचारा, 2020)
-जिंदगी लंबी नहीं, बड़ी होनी चाहिए. (दिल बेचारा, 2020)