पुलिस कब करती है एनकाउंटर? क्या हैं इसके नियम-कायदे; जान लें सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस
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पुलिस कब करती है एनकाउंटर? क्या हैं इसके नियम-कायदे; जान लें सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस

Regulations of Encounter: यूपी में अब तक 207 अपराधी पुलिस की गोली से मारे गए हैं. आज हम आपको बताएंगे कि एनकाउंटर को लेकर पुलिस के लिए क्या नियम-कायदे हैं. आखिर वो कौन सी स्थिति होती है, जब पुलिस के सामने गोली चलाने की नौबत आ जाती है. 

पुलिस कब करती है एनकाउंटर? क्या हैं इसके नियम-कायदे; जान लें सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस

Rules of Encounter: ऐसा लगता है जैसे देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर का दौर चल रहा है. कन्नौज, गाजियाबाद, बिजनौर और उन्नाव में धड़ाधड़ एनकाउंटर से पूरा राज्य हिल गया है. विपक्ष इसे लेकर योगी सरकार पर लगातार हमला बोल रहा है.

यूपी में अब तक 207 अपराधी पुलिस की गोली से मारे गए हैं. आज हम आपको बताएंगे कि एनकाउंटर को लेकर पुलिस के लिए क्या नियम-कायदे हैं. आखिर वो कौन सी स्थिति होती है, जब पुलिस के सामने गोली चलाने की नौबत आ जाती है. 

एनकाउंटर, जिसे हिंदी में मुठभेड़ कहा जाता है. यह शब्द 20वीं सदी के बाद से भारत-पाकिस्तान में ज्यादा प्रचलित हुआ. तब आतंकियों और गैंगस्टर्स को पुलिस या सुरक्षाकर्मी सेल्फ डिफेंस में मारते थे. कुछ लोग इसकी आलोचना भी करते हैं. उनका कहना है कि पुलिस इसका इस्तेमाल फेक एनकाउंटर्स के लिए करती है. 

हालांकि ऐसा कोई कानून भारत में नहीं है, जिसके तहत पुलिसवाले किसी अपराधी का एनकाउंटर कर सकें. लेकिन कुछ स्थितियां हैं, जिनमें पुलिसवाले अपराधियों से निपटने के लिए गोली चला सकते हैं. पहली स्थिति ये कि अगर कोई बदमाश पुलिस कस्टडी से भागने की कोशिश करता है तो सेल्फ डिफेंस में पुलिस गोली चला सकती है.

लेकिन उससे पहले उसे वॉर्निंग देकर रोकने की कोशिश की जाती है. अगर वह नहीं रुकता तो फायरिंग की जाती है. लेकिन ज्यादातर मामलों में पुलिस अफसर सेल्फ डिफेंस में ही एनकाउंटर का फैसला करते हैं. 

एनकाउंटर को लेकर क्या है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस?

  • जब पुलिस को गंभीर अपराध करने वाले शख्स के बारे में कोई खुफिया जानकारी या टिप मिलती है तो उसे किसी इलेक्ट्रॉनिक रूप या केस डायरी में दर्ज करना होगा. 

  • अगर कोई सीक्रेट इन्फॉर्मेशन मिलने के बाद एनकाउंटर होता है और उसमें बदमाश मर जाता है तो एफआईआर दर्ज करनी होगी. फिर निश्चित धाराओं में अदालत में भेजना होगा. 

  • एनकाउंटर की स्वतंत्र जांच पुलिस टीम के वरिष्ठ अधिकारी (एनकाउंटर में शामिल पुलिस टीम के चीफ से एक लेवल ऊपर) या सीआईडी की देखरेख में की जाएगी.

  • पुलिस एनकाउंटर में जिन बदमाशों की मौत होगी, उनकी संबंधित धाराओं के तहत मजिस्ट्रियल जांच होगी. इनकी रिपोर्ट न्यायिक मजिस्ट्रेट को भी भेजनी होगी. 

  • इसके अलावा एनकाउंटर की जानकारी बिना देरी किए राज्य मानवाधिकार आयोग या NHRC को देनी होगी. 

  • अगर एनकाउंटर में कोई अपराधी घायल हो जाता है तो उसको तुरंत इलाज देना होगा. साथ ही मेडिकल अफसर या मजिस्ट्रेट के सामने उसका बयान दर्ज होना चाहिए. साथ ही फिटनेस सर्टिफिकेट भी देना होगा. 

  • जब घटना की जांच पूरी हो जाए, तो उसकी रिपोर्ट कोर्ट को भेजनी होगी. एनकाउंटर के बाद अपराधी या पीड़ित के किसी करीबी रिश्तेदार को उसकी सूचना देनी होगी.

वहीं NHRC ने केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों के लिए पुलिस एनकाउंटर को लेकर कुछ दिशा-निर्देश  जारी किए हैं.

  • अगर किसी थाने के प्रभारी को एनकाउंटर में मौतों के बारे में जानकारी मिलती है तो उसे रजिस्टर में दर्ज करना होगा. 

  • जो जानकारी मिली है, उसे सस्पेक्ट करने के लिए काफी माना जाना चाहिए. इसके अलावा परिस्थिति की जांच के लिए तुरंत कदम उठाने होंगे ताकि यह पता चल सके कि कोई क्राइमहुआ है तो किसने किया है. 

  • अगर एनकाउंटर करने वाले एक ही थाने के पुलिसवाले हों तो जांच कोई दूसरी एजेंसी जैसे सीआईडी को करनी चाहिए. 

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