Sex and health: भारतीय समाज में आज भी सेक्स को टैबू माना जाता है. ज्यादातर लोग अभी भी सेक्स (sex) पर बात करने से बचते हैं. हालांकि ऐसे लोग जब बात यौन संबंध (sexual relations) बनाने की आती है तो इसमें वो पीछे नहीं रहते. इसी मैटर से जुड़ी एक के बाद एक रिपोर्ट्स ने लोगों का दिमाग खराब कर दिया है.
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Relationship news: महीने में कितनी बार संबंध बनाना चाहिए, यह अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप और आपका पार्टनर दोनों संतुष्ट हैं या नहीं. कुछ के लिए, सप्ताह में एक बार सेक्स करना पर्याप्त हो सकता है, जबकि अन्य को यह कम लग सकता है. इस बीच लंदन से लेकर टोक्यो तक के साइंटिस्ट और सेक्सोलॉजिस्ट शारीरिक संबंध बनाने के विषय पर अलग-अलग ज्ञान दे रहे हैं. वो लगातार चौंकाने वाली रिपोर्ट्स सामने रख रहे हैं. कुछ इसके फायदे गिना रहे हैं. तो कुछ डरा रहे हैं. ऐसी ही रिपोर्ट के मुताबिक, सेक्स से दूर रहने वाले लोगों की मौत तक हो सकती है. यह चौंकाने वाला खुलासा ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ था. उस रिपोर्ट में बताया गया है कि जो मर्द महीने में एक बार भी यौन संबंध नहीं बनाते हैं, उनके मरने का खतरा सप्ताह में एक बार संबंध बनाने वालों के मुकाबले दोगुना हो जाता है.
'दिमाग का दही' या 'भेजा फ्राई'
दूसरी एक स्टडी में ये पता चला कि महिलाओं में शून्य यौन रुचि वाले अधेड़ और सीनियर सिटिजन के पुरुषों की उम्र कम होने का खतरा होता है. जापान के यामागाटा में 20000 लोगों पर ये सर्वे हुआ था. जापान जैसे देश के लिए ये सैंपल साइज ठीक-ठाक था. स्टडी टीम को प्रोफेसर काओरी साकुराडा ने लीड किया. साकुराडा, जापान के बड़े डॉक्टर हैं. वो यामागाटा यूनिवर्सिटी फैकल्टी ऑफ मेडिसिन स्कूल ऑफ नर्सिंग में ब्रेन ट्यूमर के एक्सपर्ट हैं. साकुराडा ने कहा कि उनकी टीम के रिसर्च के नतीजे मौत के जोखिम को कम करने के तरीकों को विकसित करने में मदद कर सकते हैं.
यौन रुचि में कमी क्या मौत की ओर बढ़ने का इशारा करती है?
इस रिपोर्ट का टाइटल - 'यौन रुचि में कमी और मृत्यु दर से उसका संबंध' थी. स्टडी में 40 साल से 70 साल के लोगों को शामिल किया गया. सात शहरों में रहने वाले इन लोगों की हेल्थ पर लंबे समय तक नजर रखी गई. इनकी सालाना मेडिकल जांचें होती रहीं. सर्वे में शामिल लोगों से पूछा गया कि क्या उन्हें विपरीत लिंग में कोई रुचि है या नहीं? इस स्टडी में सबकी मेडिकल हिस्ट्री, पारिवारिक स्थितियों, दवा के उपयोग, वे कितनी बार हंसते थे और सभी के मानसिक तनाव के स्तर के रिकॉर्ड का डिटेल में अध्यन किया गया.
शोधकर्ताओं ने उनकी सेक्स लाइफ और डेली रुटीन और उनकी मृत्यु के जोखिम के बीच संबंध का अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि 20 हजार लोगों में करीब 7700 पुरुषों में और 11500 महिलाओं की अपोजिट सेक्स से मेल यानी संबंध बनाने में दिलचस्पी नहीं थी. करीब 10 साल चले अनुवर्ती अध्ययन के दौरान 503 लोगों की मौत हो गई. जिसमें 356 पुरुष और 147 महिलाएं थीं.
संबंध न बनाने पर मौत का कितना जोखिम?
इन रिपोर्ट्स के आधार पर दावा किया गया है कि कम सेक्स करने वाली महिलाओं में मौत का खतरा 70 फीसदी ज्यादा है. आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला कि जिन 9.6 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि उन्हें विपरीत लिंग में कोई दिलचस्पी नहीं थी, वो नौ साल में मर गए. लेकिन जिन पुरुषों ने कहा कि वे अभी भी महिलाओं में यौन रुचि रखते हैं, उनकी मृत्यु दर 5.6 फीसदी थी. वो ज्यादा जिए.
शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि उम्र और पुरानी बीमारियों जैसे अन्य कारकों को नजरअंदाज करने पर भी यह अंतर मृत्यु का काफी अधिक जोखिम दिखाता है. साकुराडा ने कहा, महिला और पुरुष यानी दो अपोजिट सेक्स के लोगों के साथ रहने और लगातार बातचीत करने से आपको मानसिक रूप से स्वस्थ रहने और जीने के लिए वजह ढूंढने में मदद मिल सकती है. अपोजिट सेक्स के लोगों के साथ संवाद और संबंध बनाने से आपको लंबे समय तक जिंदगी जीने में मदद मिल सकती है.
वहीं ब्रिटिश जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, सेक्स से दूर रहने वाले लोगों की मौत तक हो सकती है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि जो मर्द महीने में एक बार भी यौन संबंध नहीं बनाते हैं, उनके मरने का खतरा सप्ताह में एक बार संबंध बनाने वालों के मुकाबले दोगुना हो जाता है.
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पुरुषों के लिए यौन संबंध बनाना फायदेमंद है. जो पुरुष नियमित तौर पर यौन संबंध बनाते हैं, उनमें कैंसर होने का खतरा काफी कम होता है.
कम सेक्स करने वाली महिलाओं में 70% अधिक होता है मौत का खतरा
इसी तरह की एक स्टडी के मुताबिक, जो महिलाएं बहुत कम सेक्सुअली ऐक्टिव रहती हैं, उनमें हफ्ते में कम-से-कम एक बार सेक्स करने वाली महिलाओं के मुकाबले मौत का खतरा 70% अधिक होता है. इसके पीछे शोधकर्ताओं का तर्क है कि नियमित सेक्स से कार्डियोवस्क्युलर हेल्थ सही रहती है. सेक्स के दौरान रिलीज होने वाले हार्मोन जैसे प्रोलैक्टिन, इंडोर्फिन और ऑक्सीटोसिन शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं.
इसके इतर एक सर्वे में कहा गया कि महिलाओं के आंकड़ों से पता चलता है कि उनकी यौन रुचि और मृत्यु के जोखिम के बीच कोई संबंध नहीं है.