Daytime Sleep Damages The Eyes: 11 साल तक चली इस रिसर्च में लगभग 8690 लोगों में ग्लूकोमा पाया गया. ग्लूकोमा आंख से दिमाग को जोड़ने वाली ऑप्टिक तंत्रिका को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है. दिन में सोना सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
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Daytime Sleep Damages The Eyes: कहते हैं सोने के लिए रात बनी है और काम करने के लिए दिन. रात में अगर आप 6 से 8 घंटे की नींद लेते हैं तो ये आपकी अच्छी सेहत के लिए पर्याप्त है. साथ ही सुबह उठकर आप फ्रेश फील करते हैं. लेकिन कुछ लोगों की दिन में सोने की आदत होती है. कई बार रात में नींद पूरी न होने पर लोगों को दिन में सुस्ती आती है और सो जाते हैं. आपको बता दें दिन में सोने की आदत आंखों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. अगर आप दिन में सोते हैं तो इससे आंखों पर बुरा असर पड़ता है. इसका खुलासा एक शोध में हुआ है. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह स्थिति ज्यादा गंभीर हो तो समस्या अंधेपन तक भी बढ़ सकती है. आइये जानें विस्तार से...
दिन में सोना क्यों है खतरनाक ?
एक विदेशी रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग रात में पर्याप्त नींद नहीं लेते और दिन में सोते समय खर्राटे भरते हैं, उनकी इस आदत से ग्लूकोमा यानी काला मोतियाबिंद होने का खतरा बढ़ जाता है. इस बीमारी का सही समय पर इलाज न होने पर स्तिथि काफी गंभीर हो सकती है जिससे दृष्टिहीनता यानी अंधे होने का भी खतरा रहता है. वहीं एक रिसर्च के अनुसार, ग्लूकोमा के कारण अगर किसी व्यक्ति के आंखों की रोशनी चली जाए तो दोबारा नहीं लौटती है. शोधकर्ताओं ने बताया है कि रात में पूरी नींद नहीं लेने की स्थिति में किसी भी उम्र के लोगों को ग्लूकोमा की समस्या हो सकता है. यह समस्या बुजुर्गों और धूम्रपान करने वालों में भी हो सकती है.
शोध में खुलासा
ब्रिटेन के बायोबैंक की ओर से हुई एक स्टडी में 40 से 69 साल के बीच की उम्र वाले करीब 4 लाख से अधिक लोगों के डेटा पर आकलन हुआ. इस स्टडी में शामिल सभी लोगों की नींद की आदतों के बारे में पूछा गया. जिसमें पाया गया कि 8,690 लोगों को ग्लूकोमा की शिकायत है. ऐसे में शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग रात में भरपूर नींद नहीं लेते और दिन में सोते वक्त खर्राटे भरते हैं, उनमें ग्लूकोमा का खतरा 11 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. वहीं दिन में सोने की आपकी ये हरकत आंखों की रोशनी छीन सकती है.
जानें एक्सपर्ट की राय
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर आप अच्छी नींद नहीं सोते तो इससे हमारी निर्णय लेने की क्षमता, सीखने की क्षमता, हमारे व्यवहार व स्वभाव और हमारी याद्दाश्त पर बहुत बुरा असर पड़ता है. दरअसल, ग्लूकोमा आंख से दिमाग को जोड़ने वाली ऑप्टिक तंत्रिका को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है, जिस वजह से आंखों की संवेदनशील कोशिकाओं का क्षरण होने लगता है. इसलिए दिन में सोने की आदत को सुधारें और रात की नींद अच्छी तरह पूरी करें. एक्सपर्ट्स का मानना है कि समय पर इलाज न मिलने पर आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है.
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