बच्चों का जिद्दी (Stubborn) होना बहुत आम है लेकिन उनका हद से ज्यादा और बात-बात पर जिद करना गलत है.
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Stubborn Kids: हम देखते हैं कि ज्यादातर बच्चे जिद्दी हो जाते हैं. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बच्चों का जिद्दी (Stubborn) होना बहुत आम है, लेकिन उनका हद से ज्यादा और बात-बात पर जिद करना गलत है इस तरह से उनके व्यवहार में जिद करने की आदत शामिल होती जाएगी. जिसका नकारात्मक (Negative) असर आगे चलकर बच्चे के भविष्य (Future) पर भी पड़ सकता है. ऐसे में आपको बच्चों की जिद करने की आदत को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए. इसके लिए नीचे बताए जा रहे तरीके आप फॉलो कर सकते हैं.
जिद्दी बच्चे को सुधारने वाले तरीके
1. बच्चों से बहस न करें
जो लोग बच्चों से बात-बात पर बहस करने लगते हैं, तो जिद्दी बच्चों को भी बहस करने की आदत हो सकती है. लिहाजा वो हर वक्त बहस करने के लिए तैयार रहते हैं. इसलिए आप उन्हें बहस करने का मौका न दें और उनकी बात को ध्यान से सुनें. ऐसा करने से बच्चे भी आपकी बात को ध्यान से सुनेंगे.
2. बच्चों पर बिल्कुल न चिल्लाएं
अगर आपका बच्चा जिद्दी है, जो उस पर चीखने चिल्लाने की बजाय उसे प्यार करें. अच्छे से बात करें. अगर आप उनसे प्यार से बात करेंगे तो बच्चे भी ज्यादा शोर-शराबा नहीं करेंगे. ऐसा करके आप उन्हें सही और गलत के बीच में फर्क समझा सकते हैं.
3. मन की बात को समझना जरूरी
हमें बच्चों के मन की बात को समझना बेहद जरूरी है. कई बार बच्चे माता-पिता का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए भी जिद करते हैं. हो सकता है कि आपके बच्चे को किसी बात से दिक्कत दे रही हो और वो आपसे कह नहीं पा रहा हो. इसलिए बच्चों पर निगाह रखें और उनकी हरकतों को देखकर उसे समझने की कोशिश करें. रोज बच्चे से 30 मिनट अकेले में बात करने की कोशिश करें.
4. बच्चों को बोलने का मौका जरूर दें
बच्चों पर केवल अपनी बात न थोपें, बल्कि उनको भी बोलने का मौका दें. अगर आप उनको बोलने का मौका देंगे, तो वह भी आपको सुनने की कोशिश करेंगे. साथ ही आपने अपनी बातें भी शेयर करेंगे. समझने और समझाने से बच्चों के साथ हेल्दी रिलेशन बना रहता है.
5. नियम बनाएं और उन्हें फॉलो करने की सलाह दें
जिद्दी बच्चों को समझाने और उनको डील करने के लिए कुछ नियम बनाना बेहद जरूरी है. नियमों के तहत बच्चों को समझाएं कि नियम तोड़ने पर उन्हें क्या नुकसान हो सकता है. आप लगातार बच्चे को नियम और अनुशासन में रखेंगे तो बच्चे का जिद्दीपन कुछ हद तक कम होगा. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि नियम और अनुशासन बहुत ज्यादा सख्त न हो.
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यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.