अमित शाह ने कहा, हमारी सरकार विकास को प्राथमिकता में रखते हुए आर्थिक रूप से विवेकपूर्ण निर्णय लेती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा आज की गई घोषणाएं बताती हैं कि मोदी 2.0 देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनोमी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.
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नई दिल्ली: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को अर्थव्यवस्था की हालत सुधारने के लिए कई उपायों की घोषणा की. उनकी इन घोषणाओं के बाद देश के गृहमंत्री अमित शाह ने देश की अर्थव्यवस्था पर कहा, वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है. हमारी सरकार विकास को प्राथमिकता में रखते हुए आर्थिक रूप से विवेकपूर्ण निर्णय लेती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा आज की गई घोषणाएं बताती हैं कि मोदी 2.0 देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनोमी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.
India’s economy remains resilient and despite global slow down is performing well. Our govt has been fiscally prudent while prioritising growth. Today’s announcements by FM @nsitharaman only reinforce the fact that Modi 2.0 is committed to make India a 5 trillion dollar economy.
— Amit Shah (@AmitShah) August 23, 2019
बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये पुर्नपूजीकरण की घोषणा इस साल जुलाई में पेश किए गए पूर्ण बजट में की गई थी. यह कदम क्रेडिट ग्रोथ (कर्ज उठाव) को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है, ताकि भारत को वित्त वर्ष 2024-15 तक 5 ट्रिलियन वाली अर्थव्यवस्था बनाया जा सके. बैंकरों का कहना है कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कर्ज देने की दर को सालाना 18-20 फीसदी की दर से बढ़ाना होगा.
एक अन्य नीतिगत उपाय में, सीतारमण ने कहा कि बैंक अब सभी कर्जदाताओं को लाभान्वित करने के लिए एमसीएलआर कटौती के हिसाब से कर्ज की दर में कटौती करेंगे. इन दोनों कदमों से होम लोन, वाहन और अन्य खुदरा कर्ज की ईएमआई कम हो जाएगी, क्योंकि अब इन्हें सीधे रेपो दर से जोड़ दिया जाएगा. निर्मला ने कहा, "उद्योग के लिए कार्यशील पूंजी कर्ज भी सस्ता होगा."
सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कर्ज चुकाने के 15 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से कर्ज से जुड़े दस्तावेज लौटाने का निर्देश दिया है. इससे उधारकतार्ओं को लाभ होगा, जिनके संपत्ति गिरवी रखी होती है क्योंकि इससे उन्हें आगे भी कर्ज जुटाने में मदद मिलेगी. बाजार में तरलता प्रदान करने और लोगों के खर्च करने के लिए अधिक पैसा देने के अन्य उपायों के अलावा, सरकार ने एनबीएफसी और एमएसएमई को अधिक क्रेडिट सहायता (कर्ज) देने का फैसला किया है.