Chandrayaan-3 Mission: सॉफ्ट लैंडिंग से पहले 5 अगस्त चंद्रयान-3 के लिए अहम, जानें क्या है वजह
Advertisement
trendingNow11811129

Chandrayaan-3 Mission: सॉफ्ट लैंडिंग से पहले 5 अगस्त चंद्रयान-3 के लिए अहम, जानें क्या है वजह

Chandrayaan 3 Mission:  14 जुलाई को श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 को लांच किया गया था. अगर सब कुछ सही रहा तो 23 अगस्त को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग होगी.

Chandrayaan-3 Mission: सॉफ्ट लैंडिंग से पहले 5 अगस्त चंद्रयान-3 के लिए अहम, जानें क्या है वजह

Chandrayaan 3 Journey: अगर सब कुछ सही तरह से चला तो चंद्रयान 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा लेकिन उससे पहले पांच अगस्त की शाम बेहद महत्वपूर्ण है. दरअसल चंद्रमा की ऑर्बिट में चंद्रयान-3 को दाखिल होना है और उसके बाद चंद्रयान, चंद्रमा की कक्षा का चक्कर लगाना शुरू कर देगा. अगर मौजूदा समय की बात करें तो चांज 288 किमी गुणे 3.70 लाख किलोमीटर की आर्बिट में चक्कर लगा रहा है. चंद्रमा की कक्षा में ले जाने के लिए इसरो की तरफ ऑर्बिट मैन्यूवरिंग की जाएगी यानी एक और थर्स्ट दिया जाएगा. चांद की ओर चंद्रयान पांच ऑर्बिट में घूमेगा जिसमें लूनर ऑर्बिट इंजेक्शन भी शामिल है. अभी यह अंडाकार ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा और बाद में 100 किमी के घरे में गोलाकार कक्षा में डाला जाएगा. यह प्रक्रिया 17 अगस्त तक पूरी की जाएगी.

चंद्रयान-3 की दिशा में भी होगा बदलाव

लूनर ऑर्बिट इंजेक्शन से पहले चंद्रयान-3 के इंजन को करीब 25 मिनट के लिए चालू किया जा सकता है. इसका मकसद सिर्फ इतना है कि वो चांद की कक्षा में बिना किसी रुकावट दाखिल हो सके. अभी तक चंद्रयान-3 धरती के चारों ओर चक्कर लगा रहा था लेकिन अब आगे चंद्रमा का चक्कर लगाना होगा लिहाजा दिशा में बदलाव किया जाएगा.

पांच अगस्त के बाद 17 अगस्त खास

चांद की सतह पर लैंडिंग से पहले चंद्रयान-3 को पांच चक्कर लगाने हैं, हर एक ऑर्बिट की दूरी पहले से तय हैं, पहली ऑर्बिट 40 हजार किमी की है. दूसरी ऑर्बिट 18 से 20 हजार किमी की, तीसरी ऑर्बिट 4 से पांच हजार किमी चौथी 1 हजार किमी और अंतिम ऑर्बिट 100 किमी की होगी. 6 अगस्त को दूसरी ऑर्बिट, 9 अगस्त को तीसरी ऑर्बिट, 14 अगस्त को चौथी ऑर्बिट, 16 अगस्त को पांचवीं आर्बिट में चंद्रयान को डाला जाएगा. 17 अगस्त को लैंडर और प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग होंगे.

Trending news