सारागढ़ी का युद्ध: जब 21 सिख जवानों ने 10 हजार आक्रमणकारियों को चटाई थी धूल
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सारागढ़ी का युद्ध: जब 21 सिख जवानों ने 10 हजार आक्रमणकारियों को चटाई थी धूल

सारागढ़ी पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में है. 15 अगस्त 1947 से पहले ये भारत का ही हिस्सा हुआ करता था .

(फोटो साभार- Instagram)
(फोटो साभार- Instagram)

नई दिल्ली: वर्ष 1897 में, तब सारागढ़ी नाम की जगह पर सिर्फ 21 सिख सिपाहियों ने 10 हज़ार पश्तून आक्रमणकारियों को धूल चटा दी थी. भारत का एक-एक वीर योद्धा 500 दुश्मनों पर भारी पड़ा था . वीरता और साहस भारत के सैनिकों के DNA में है . 

सारागढ़ी पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में है. 15 अगस्त 1947 से पहले ये भारत का ही हिस्सा हुआ करता था . वर्ष 1897 में इस इलाके पर कब्ज़ा करने ब्रिटिश सरकार ने सिख रेजीमेंट की 5 कंपनियां भेजी गई थी . लेकिन अफगान लड़ाके लगातार ब्रिटिश सेनाओं को चुनौती दे रहे थे . हमलों से बचने के लिए महाराजा रणजीत सिंह ने यहां 2 क़िलों का निर्माण किया था . 

इनमें से एक किला फ़ोर्ट लॉकहार्ट था, जबकि दूसरे क़िले का नाम फोर्ट गुलिस्तां था . इन दोनों क़िलों के ठीक बीच में सारागढ़ी था, जहां ब्रिटिश सेना द्वारा हेलियोग्राफिक कम्युनिकेशन पोस्ट (Heliographic Communication Post) बनाई गई थी . 

हेलियोग्राफ (Heliograph) तकनीक का इस्तेमाल युद्ध के दौरान किया जाता था . इस तकनीक के जरिए शीशे पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी को दूसरी पोस्ट तक पहुंचाया जाता था . सूर्य की रोशनी के बदलते पैटर्न में संदेश छिपे होते थे . जिन्हें मोर्स कोड (Morse Code) तकनीक की मदद से डिकोड (Decode) किया जाता था . सारागढ़ी पोस्ट पर हेलोग्राफ की जिम्मेदारी गुरमुख सिंह नामक सिपाही की थी . उन्होंने इसी की मदद से जंग का पूरा ब्योरा फोर्ट लॉकहार्ट तक पहुंचाया था .

12 सिंतबर को शुरू हुई जंग 
इस जंग की शुरुआत 12 सितंबर 1897 को हुई थी . तब सिपाही गुरमुख सिंह ने फ़ोर्ट लॉकहार्ट में मौजूद कर्नल हॉटन को एक संदेश भेजा था . इस संदेश में कहा गया था कि 10 हज़ार अफगान आक्रमणकारियों ने सारागढ़ी पर हमला बोल दिया है.

लेकिन ब्रिटिश सेना के उस कर्नल ने फौरन मदद भेजने से इनकार कर दिया . इसके बाद सारागढ़ी पोस्ट पर मौजूद 21 सिपाहियों ने आखिरी सांस तक लड़ने का फैसला किया . इन वीर सिपाहियों का नेतृत्व हवलदार ईशर सिंह कर रहे थे . इसी बीच फ़ोर्ट लॉकहार्ट से हेलियोग्राफ की मदद से संदेश आया कि दुश्मनों की संख्या 14 हज़ार भी हो सकती है .

लेकिन ये 21 महायोद्धा घबराए नहीं बल्कि इन्होंने आखिरी सांस तक लड़ने फैसला किया . इस दौरान पश्तून फौजों के नेता इन सिपाहियों को आत्मसमर्पण के लिए कहते रहे, लेकिन इन देशभक्त सिपाहियों को ये बिल्कुल मंजूर नहीं था .

लेकिन क्या सिर्फ 21 सिपाही 10 हज़ार दुश्मनों को हरा सकते थे ? क्या सारागढ़ी पोस्ट ध्वस्त होने से बच सकती थी ? इस युद्ध में ईशर सिंह और उनके सिपाहियों का क्या हुआ ? इन सवालों का जवाब आपको हमारे वीडियो विश्लेषण में मिलेगा . ये कहानी आपमें देशभक्ति की भावना भर देगी . इसलिए अपने सेल फोन को साइलेंट मोड पर डालकर और सारे काम निपटाकर, पूरे परिवार के साथ वीरगाथा वाले इस विश्लेषण को देखिए .

गुरुमुख सिंह ने मारे 20 दुश्मन
सारागढ़ी की इस जंग ने युद्ध की सारी किताबी परिभाषाओं को पार कर लिया था . सारागढ़ी के मैदान में सिर्फ युद्ध नहीं लड़ा जा रहा था, बल्कि एक इतिहास लिखा जा रहा था . इन 21 योद्धाओं ने 10 घंटे तक चली इस जंग में करीब 600 अफगान दुश्मनों को मार गिराया . इस दौरान सिपाही गुरमुख सिंह हेलियोग्राफ से कर्नल हॉटन को युद्ध का ब्योरा भेजते रहे . आखिर में उन्होंने खुद भी हथियार उठाने की इजाजत मांगी और इसके बाद 20 दुश्मनों को मार गिराया .

गुरमुख सिंह दुश्मनों का काल बन गए थे . उन्हें हराने के लिए अफगान सैनिकों ने पोस्ट में आग लगा दी . कहा जाता है कि वो अंत तक 'जो बोले सो निहाल' की यलगार करते रहे .

लेकिन क्या ब्रिटिश सेना के अधिकारियों ने इन सिपाहियों की कोई मदद की ? क्या कर्नल हॉटन फोर्ट गुलिस्तां और फोर्ट लोकहॉर्ट को बचा पाए ? इन सवालों का जवाब सारागढ़ी पर हमारे वीडियो विश्लेषण में छिपा है .

मार्च 2019 में रिलीज हुई केसरी
सारागढ़ी की जंग पर आधारित फिल्म केसरी इसी साल 21 मार्च को रिलीज़ हुई थी . केसरी में हवलदार ईशर सिंह का किरदार अक्षय कुमार ने निभाया था . इस फिल्म की शूटिंग स्पिती वैली के अलावा मुंबई में भी की गई थी . पहले ही हफ्ते में ये फिल्म सुपरहिट साबित हुई थी . इस फिल्म ने दुनिया भर में 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की थी . लेकिन अफसोस की बात ये है कि इस फिल्म के रिलीज़ होने से पहले तक भारत में बहुत कम लोगों को सारागढ़ी के युद्ध की जानकारी थी . जबकि ब्रिटेन में वहां की सेना हर साल इन 21 सिपाहियों को याद करती है . 

सिख रेजीमेंट मनाती है सारागढ़ दिवस
भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट भी हर साल 12 सितंबर को सारागढ़ी दिवस मनाती है . लेकिन हमारे देश में इस एतिहासिक युद्ध की जानकारी आम लोगों को नहीं है. हमारे देश का मीडिया भी सारागढ़ी के बारे में लोगों नहीं बताता . केसरी के रिलीज होने से पहले मैंने अक्षय कुमार का एक इंटरव्यू किया था . 

इस इंटरव्यू के दौरान अक्षय कुमार ने भी माना कि जब वो इस फिल्म के लिए रिसर्च कर रहे थे तो उन्हें सबसे ज्यादा जानकारी विदेशी मीडिया से ही मिली . 

अब आपको सारागढ़ युद्ध से जुड़ी एक दिलचस्प जानकारी देते हैं . युद्ध के विशेषज्ञ इसे दुनिया में अब तक लड़ी गई सबसे महान जंग की संज्ञा भी देते हैं . अदम्य साहस और परम बलिदान पर आधारित फिल्म केसरी..आप Zee Cinema पर 15 अगस्त को दोपहर 12 बजे देख सकते हैं .

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